Al Falah Medical College: में तूफानी भर्तियाँ: रेड फोर्ट धमाके की जांच के बीच भी MBBS की सभी 150 सीटें भरी गईं

फरीदाबाद में स्थित अल‑फलाह मेडिकल कॉलेज (Al‑Falah School of Medical Sciences & Research Centre), जो अल‑फलाह यूनिवर्सिटी का हिस्सा है, ने 2025‑26 शैक्षणिक सत्र के लिए अपनी सभी 150 MBBS सीटें भर ली हैं, भले ही यह कॉलेज हाल ही में दिल्ली के लाल किले धमाके (Red Fort Blast) मामले में विवादों की जद में हो। Livemint की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलेज ने फीस, एडमिशन प्रक्रिया और छात्र‑आकर्षण में मजबूत स्थिति बनाए रखी है, जबकि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा यूनिवर्सिटी पर गहन जांच हो रही है। 



भुकतान, फीस और शिक्षा‑संरचना का नजरिया


  • अल‑फलाह मेडिकल कॉलेज को National Medical Commission (NMC) द्वारा 2019 में MBBS कोर्स की मंज़ूरी मिली थी।  
  • कॉलेज की पहली वर्ष की फीस भारतीय छात्रों के लिए लगभग ₹16,37,500 है, और NRI छात्रों के लिए $32,900।  
  • यूनिवर्सिटी का कैंपस लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है, और मेडिकल कॉलेज के साथ एक अस्पताल भी जुड़ा हुआ है।  
  • कॉलेज का MBBS Intake वर्तमान में 150 सीटों का है, जिसे उसने नए सत्र में पूरी तरह भर लिया है।  


यह कैसे हुआ: एडमिशन प्रक्रिया और स्ट्रे राउंड


  • हरियाणा में चिकित्सा शिक्षा विभाग NEET‑UG आधारित काउंसलिंग प्रक्रिया चलाता है, जिसमें अल‑फलाह सहित सभी मेडिकल कॉलेज भाग लेते हैं।  
  • अगस्त से अक्टूबर तक पहली तीन सामान्य काउंसलिंग राउंड हुए, लेकिन तब 15 सीटें खाली रह गई थीं।  
  • इन खाली सीटों को 13 नवंबर को आयोजित “stray round” में भरा गया।  
  • इस साल “stray round” में बेहद कम NEET स्कोर वाले छात्र भी कॉलेज में चुने गए — वहाँ तक कि NRI कोटे में स्कोर 155 तक गिरे।  
  • कुछ अध्यापक बताते हैं कि कई छात्र पहले वरीयता सूची में अल‑फलाह नहीं थे, लेकिन अपग्रेडिंग और काउंसलिंग ऑप्शन की वजह से अंत में यहाँ दाखिला लिया।  


धमाके के साये में विश्वविद्यालय — गहरा नापाक इतिहास

  • अल‑फलाह यूनिवर्सिटी पर दिल्ली में 10 नवम्बर धमाके (Red Fort Blast) के संदर्भ में तीव्र जांच हो रही है। कुछ डॉक्टरों पर इस मामले में सीधे संदेह हैं।  
  • पुलिस का मानना है कि रूम नंबर 13 (Building 17) में योजनाएँ बनाई गई थीं, और वहाँ विस्फोटक सामग्री या उसके घटक जुटाने के लिए प्रयोगशाला जैसी सुविधा भी हो सकती थी।  
  • Times of India की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वहाँ लगभग 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जैसा पदार्थ मिला था, जिसे सुरक्षित रूप से विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता था।  
  • इसके अलावा, NAAC (National Assessment and Accreditation Council) ने यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है, क्योंकि उसकी वेबसाइट पर यह दावा किया गया था कि उसे NAAC की मान्यता मिली है — जबकि ऐसा नहीं पाया गया।  



नैतिक और सामाजिक विवाद


  • कॉलेज की भर्तियों में इस तीव्रता और बड़ी संख्या में छात्रों का दाखिला, ऐसे वक़्त में हुआ है जब यूनिवर्सिटी की छवि संदिग्ध हो चुकी है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं: क्या छात्र केवल “कम फीस वाले मेडिकल कॉलेज” की तलाश में यहाँ आ रहे हैं, या उन्हें यह नहीं पता कि संस्थान विवादों में है?
  • एक प्राध्यापक ने कहा है कि एक “घटनाक्रम” पूरे कॉलेज की प्रतिष्ठा को नहीं बदलेगा, लेकिन प्रशासन के लिए जिम्मेदारी है कि वह विश्वास बनाए रखे।  
  • डॉक्टरों और शिक्षा कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है कि यदि जांच गहराई तक जाए और वैज्ञानिक या प्रयोगशाला संसाधनों का दुरुपयोग हुआ हो तो यह शिक्षा और सुरक्षा दोनों के लिए बड़ा संकट होगा।


छात्र‑भविष्य और आगे की राह

  • अगले सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए यह एक बड़ा मोड़ है — उन्हें संवेदनशील स्थिति में अध्ययन करना होगा क्योंकि उनकी कॉलेज के नाम को व्यापक जांच और मीडिया ध्यान का सामना करना पड़ रहा है।
  • कॉलेज प्रबंधन पर यह दबाव है कि वो पूरी जांच में सहयोग करे और पारदर्शिता बनाए रखे — विशेष रूप से पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला उपयोग, और स्टाफ रिकॉर्डिंग में।
  • राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को यह निर्णय करना होगा कि क्या कॉलेज की मान्यता सुशोभित रूप से बनी रहेगी या आगे किसी प्रकार की पाबंदी लगाई जाएगी, यदि दावे और जांच सही पाए जाते हैं।



विशेषज्ञ दृष्टिकोण और निष्कर्ष

  • शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों और अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि एक मेडिकल कॉलेज का चुनाव सिर्फ पाठ्यक्रम गुणता पर आधारित हो, न कि केवल फीस या प्रवेश स्कोर पर।
  • सुरक्षा विश्लेषकों को चिंता है कि यदि किसी शैक्षणिक संस्थान का उपयोग चरमपंथी विचारधारा रखने वालों द्वारा किया जा सके, तो यह एक बड़े खतरे का संकेत है — न सिर्फ एजुकेशनल लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से।
  • कॉलेज के प्रति सार्वजनिक और सामुदायिक भरोसे को पुनर्निर्मित करने के लिए, अल‑फलाह यूनिवर्सिटी को अपनी संचालन प्रक्रिया, वित्तीय गतिविधियों और शैक्षणिक मूल्यों में पारदर्शिता लानी होगी।
  • आने वाले महीनों में यह देखना होगा कि जांच एजेंसियाँ कॉलेज की भूमिका को कैसे खंगालती हैं और क्या इस विवाद का असर यहाँ पढ़ने वाले छात्रों और शिक्षकों पर पड़ता है।