Alwar: के डी-मार्ट स्टोर में साइलेंट-बारकोड स्कैम: ग्राहक सस्ते दामों में सामान खरीद पाते हैं, कंपनी की छानबीन शुरू

राजस्थान के अलवर में स्थित एक डी-मार्ट स्टोर में हाल ही में एक चौंकाने वाला एक्सपोज़ हुआ है, जिसे AajTak ने “साइलेंट बारकोड स्कैम” बताया है। इस स्कैम के अनुसार, कुछ उत्पादों में बारकोड को ऐसा डाला गया है कि उन्हें चेकआउट पर गलत (कम) दाम पर स्कैन किया जा सके, जिससे ग्राहक सामान को अपेक्षित कीमत से बहुत कम में खरीद लेते हैं।


यह मामला न सिर्फ उपभोक्ता धोखे की समस्या है, बल्कि रिटेल व्यवसाय में नैतिकता, इन्वेंटरी प्रबंधन और मूल्य निर्धारण नीतियों पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है।


स्कैम का तरीका और कैसे किया जा रहा है: “साइलेंट-बारकोड” की समझ


  • “साइलेंट बारकोड” स्कैम का मतलब है कि किसी उत्पाद के पैकिंग पर बारकोड ऐसा चुना जाता है या उसे रिप्लेस किया जाता है कि वह चेकआउट पर स्कैन करते समय गलत (न्यून) कीमत दिखाए।
  • इस स्कैम में कहा जा रहा है कि कुछ हाई वैल्यू या ब्रांडेड सामानों में ऐसा बारकोड लगा हुआ था, जिससे ग्राहक वास्तव में उन्हें कम दाम पर खरीद पाए। AajTak की रिपोर्ट के अनुसार, इन उत्पादों की असल कीमत कहीं ज्यादा थी, लेकिन प्रिंटर/स्कैनर सिस्टम में यह गलती (या जानबूझकर) हो रही थी।
  • स्कैम का यह नाम “साइलेंट” इसलिए पड़ा क्योंकि यह सामान्य बारकोड स्कैनिंग की प्रक्रिया में बहुत सहजता से हो जाता है — ग्राहक को कोई तुरंत असर महसूस नहीं होता, और रिटेलर्स को भी यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि कौन सी ऐंट्री गलत है।


प्रभावित ग्राहक और उनकी प्रतिक्रिया


  • कुछ ग्राहक जिन्होंने डी-मार्ट स्टोर से सामान खरीदा था, उन्हें बिल में कम दाम दिखाकर चौंका दिया गया। बाद में जब उन्होंने सामान की समीक्षा की, तो उन्हें लगा कि उन्हें गलत दाम पर उत्पाद दिए गए हैं।
  • “मैंने सुना कि एक डायपर पैक का बारकोड स्कैन करते समय ₹200 दिखा, जबकि उसकी असल कीमत ₹350 से ऊपर हो सकती थी,” एक ग्राहक ने AajTak को बताया।
  • कुछ अन्य ग्राहक यह कह रहे हैं कि इस तरह के स्कैम से उनकी खरीददारी में भरोसा गिर गया है और अब वे बड़े ब्रांड स्टोर्स में बार-बार चेक करना चाहते हैं।
  • डी-मार्ट स्टोर में इस मुद्दे की शिकायतें दर्ज होने लगी हैं, और कई ग्राहक रिटर्न, रिफंड या मुआवजे की मांग कर रहे हैं।


कंपनी (डी-मार्ट) की स्थिति और जवाबदेही


  • अभी तक डी-मार्ट की ओर से कोई आधिकारिक पब्लिक स्टेटमेंट नहीं मिला है जिसमें उन्होंने “साइलेंट-बारकोड” स्कैम को पूरी तरह स्वीकार किया हो।
  • रिटेल चेन के ऑपरेटिंग मॉडल की जाँच होगी — यह देखना आवश्यक होगा कि यह स्कैम स्टोर-स्तर की बात है या यह सिस्टम-वाइड समस्या है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि डी-मार्ट को अपने इन्वेंटरी सिस्टम, बिलिंग सॉफ़्टवेयर और चेकआउट पॉलिसी की समीक्षा करनी चाहिए ताकि इस तरह के फर्जी बारकोड को तुरंत पहचाना जा सके।
  • इसके अलावा, डी-मार्ट को ग्राहकों को भरोसा दिलाने के लिए शिकायत प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी और प्रभावी बनाना होगा।


कानूनी, उपभोक्ता और नीति-परिप्रेक्ष्य


  1. उपभोक्ता धोखा (Consumer Fraud)
    यह स्कैम उपभोक्ता के भरोसे का उल्लंघन है। ग्राहक यह उम्मीद करते हैं कि बिलिंग सिस्टम निष्पक्ष और सही होगा, लेकिन “साइलेंट-बारकोड” धोखे का सबसे बड़ा उदाहरण हो सकता है।
  2. नियम और निगरानी की जरूरत
    रिटेल सेक्टर में इस तरह के स्कैम को रोकने के लिए सरकार या नियामक एजेंसियों को कड़े दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है – विशेष रूप से स्कैनिंग और बैरकोड लेबलिंग की सुरक्षा के लिए।
  3. रिटेलर्स की जवाबदेही
    स्टोर और बड़े रिटेलर्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी चेकआउट प्रणाली में मैकेनिज्म हो जिससे असामान्य बिलिंग (जैसे कम दाम पर हाई-प्राइस आइटम) तुरंत पकड़ा जाए।
  4. उपभोक्ता जागरूकता
    इस घटनाक्रम ने यह दिखाया है कि उपभोक्ताओं को बिल देखकर खरीदारी करनी चाहिए, अपने रसीदों की जांच करनी चाहिए और किसी भी संदिग्ध अंतर पर स्टोर प्रबंधन या कस्टमर-केयर को तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए।


संभावित नतीजे और आगे की चुनौतियाँ


  • यदि डी-मार्ट इस स्कैम के दोषियों की पहचान कर लेता है और उन्हें दंडित करता है, तो यह अन्य रिटेलर्स के लिए चेतावनी बनेगा कि इस तरह की धोखाधड़ी स्वीकार्य नहीं है।
  • इसके विपरीत, यदि यह मामला व्यापक और सिस्टम-स्तर पर पाया जाता है, तो डी-मार्ट की ब्रांड प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हो सकता है।
  • रिटेल सेक्टर में इस तरह की घटनाओं से यह मांग उठेगी कि सभी बड़ी चेन अपने बिलिंग और इन्वेंटरी सिस्टम को नियमित रूप से ऑडिट करें।
  • नीति-निर्माताओं और उपभोक्ता अधिकारों के लिए यह समय है कि वे इस तरह की स्कैम को बंद करने के लिए मजबूत कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करें।


निष्कर्ष

अलवर के डी-मार्ट स्टोर में “साइलेंट-बारकोड” स्कैम न सिर्फ उपभोक्ताओं के जेब पर असर डालता है, बल्कि रिटेल सेक्टर की नैतिकता और पारदर्शिता पर एक गंभीर सवाल भी उठाता है। अगर डी-मार्ट और अन्य रिटेल चेन इस मुद्दे को हल नहीं करतीं, तो उपभोक्ता विश्वास की नींव हिल सकती है।


अब यह देखना होगा कि डी-मार्ट इस विवाद का सामना कैसे करता है: क्या वह गलती स्वीकार कर सुधार करेगा, या यह मामला और फैलने से उसकी प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचा देगा।