Nitish Kumar: को NDA विधायक दल का नेता चुनने से बिहार में सरकार गठन की राह स्पष्ट — शपथ समारोह के लिए गांधी मैदान में तैयारी तेज़

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की जीत को राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पटना में एनडीए के नए निर्वाचित विधायकों की बैठक में नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया है। इस निर्णय के साथ ही राज्य में एक नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी तरह शुरू हो गई है।


यह कदम सिर्फ उनकी नैतिक और रणनीतिक ताकत को नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी संकेत देता है कि एनडीए में जेडीयू और अन्य घटक दलों ने उनकी नेतृत्व क्षमता को पुनः स्वीकार किया है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार 20 नवंबर 2025 को गांधी मैदान, पटना में मुख्यमंत्री के रूप में चार्ज लेंगे। 



विधायक दल की बैठक और नेता चयन का महत्व


  • पटना में एनडीए की विधायक दल की बैठक में जेडीयू, बीजेपी और अन्य गठबंधन सहयोगियों के नए विधायकों ने मिलकर नीतीश का नाम आगे रखा।  
  • इस बैठक में यह तय किया गया कि नए मंत्रियों के गठन और शपथ-ग्रहण के लिए अगला बड़ा कदम क्या होगा।  
  • विदित हो कि नीतीश कुमार जेडीयू के विधायक दल के नेता भी चुने गए हैं, जो उनके मुख्यमंत्री बनने की राह तय करता है।  
  • इस बैठक के एक दिन बाद, विधानसभा भंग की सिफारिश भी की गई है, ताकि नया मंत्रिमंडल जल्द से जल्द शपथ ले सके।  


शपथ ग्रहण समारोह — इतिहास और तैयारी


  • बिहार की नई सरकार का शपथ-ग्रहण समारोह 20 नवंबर 2025 को गांधी मैदान, पटना में आयोजित किया जाएगा।  
  • यह समारोह ऐतिहासिक होगा क्योंकि नीतीश कुमार अपनी दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।  
  • समारोह में कई वरिष्ठ NDA नेताओं के शामिल होने की संभावना है, जिसे एक सामूहिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।  
  • नीतीश ने खुद भी मैदान की तैयारियों का निरीक्षण किया है; उन्होंने मंच, व्यवस्था और वीआईपी मेहमानों की बैठने की व्यवस्था देखी।  

राजनीतिक मायने और गठबंधन संतुलन

  • नीतीश कुमार का नेतृत्व चुनना NDA के लिए एक संकेत है कि जेडीयू गठबंधन में अभी भी केंद्रीय भूमिका रखता है, और नीतीश को भरोसेमंद चेहरा माना जा रहा है।
  • उनकी चुनावी जीत और फिर से मुख्यमंत्री बनने की संभावना इस बात का परिचायक है कि बिहार की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत है।
  • हालांकि इनमें चुनौतियाँ भी हैं: नए मंत्रिमंडल के गठन, सत्ता में हिस्सेदारी, और गठबंधन के अंदर संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होगा।
  • विपक्ष के लिए यह वक्त महत्वपूर्ण रहेगा — क्योंकि उन्हें यह तय करना होगा कि वे नई सरकार को कितनी चुनौती दे पाते हैं और अगली विधानसभा में अपनी भूमिका कैसे सुधारते हैं।


भविष्य की चुनौतियाँ और उम्मीदें


  1. शासन में स्थिरता
    दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने वाला नेता यह जिम्मेदारी निभाएगा कि वह अपनी सरकार को सिर्फ सत्ता के लिए न चलाए, बल्कि जन-हित के मुद्दों जैसे बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करे।
  2. प्रशासनिक और नीति सुधार
    नई सरकार को यह दिखाना होगा कि उसके पास विकास के लिए स्पष्ट विजन है, और वह पिछले वादों को लागू करने की क्षमता रखती है।
  3. गठबंधन संतुलन
    NDA के भीतर विभिन्न दलों की ताकत और महत्वाकांक्षाओं को समायोजित करते हुए नीतीश को सभी घटक दलों को संतुष्ट रखना होगा।
  4. जनसंवाद और जवाबदेही
    जनता विशेष रूप से युवा और पहले वोटर्स यह देखेगी कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है — इसलिए नीतीश-नेतृत्व वाली नई सरकार के लिए संवाद और पारदर्शिता प्रमुख मुददे होंगे।


निष्कर्ष


नीतीश कुमार का NDA विधायक दल का नेता चुनना और 20 नवंबर को दसवीं बार मुख्यमंत्री बनना, बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न सिर्फ उनकी राजनीतिक जुगलबंदी की स्थिरता को दिखाता है, बल्कि यह संकेत देता है कि NDA इस बार भी विकास, नेतृत्व और जनता की उम्मीदों को महत्व दे रही है।


शपथ-ग्रहण समारोह के बाद आने वाले दिन यह निर्धारित करेंगे कि नीतीश कुमार नई जिम्मेदारियों को कैसे संभालते हैं और बिहार की नई सरकार उसकी दसवीं पारी में क्या बदलाव ले कर आती है।