दिल्ली के रेड फोर्ट धमाके (10 नवंबर 2025) के मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी के एक पुराने वीडियो का बड़ा खुलासा हुआ है। Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वीडियो उमर के अपने फोन में पाया गया, और जांचकर्ताओं का दावा है कि उसने अपने भाई को उस फ़ोन को “डंप” (फेंकने) का निर्देश दिया था। यह खुलासा उमर की विचारधारा की गहराइयों और उसके शहादत‑वाद (मौत को स्वीकार करने की सोच) को दर्शाता है।
वीडियो कथन: आत्मघाती हमला या “शहादत ऑपरेशन”?
- वीडियो में उमर एक शांत और भरोसेमंद अंदाज में बात कर रहा है। वह सुसाइड बमिंग की अवधारणा को “गलत समझा गया” कहता है और उसे एक “शहादत ऑपरेशन” के रूप में प्रस्तुत करता है।
- वह कहता है कि “कई लोग यह नहीं समझते कि यह आत्महत्या नहीं है, बल्कि जानबूझकर किए गए ऑपरेशन की तरह है, क्योंकि व्यक्ति मान लेता है कि उसकी मौत एक निश्चित समय और स्थान पर होगी।”
- वीडियो में वह आगे जोड़ता है कि इस तरह की मानसिकता “विपरीत धाराओं द्वारा अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत की जाती है।”
- इसके अलावा, उमर का कहना है कि मृत्यु से डरना बंद करना चाहिए, क्योंकि यदि यह उसकी नियति है, तो वह “शहादत” का हिस्सा बन सकता है।
फोन किसका था और उसे क्यों नष्ट करना चाहा?
- जांचकर्ताओं का दावा है कि यह वीडियो उमर के अपने फोन में मौजूद था, न कि कहीं और से क्लोन किया गया कॉपी था।
- रिपोर्ट के मुताबिक, उमर ने अपने भाई को कहा था कि वह उस फोन को फेंक दे — ताकि वीडियो या उसमें दर्ज सीम-संदेश उस फोन के माध्यम से न मिल सके।
- इस निर्देश से यह आशंका और मजबूत होती है कि वह जानता था कि उसका विचारधारात्मक वक्तव्य खतरनाक हो सकता है और जांच एजेंसियों के लिए उपयोगी सबूत बन सकता है।
- जांच एजेंसियां इस बात की गहराई से पड़ताल कर रही हैं कि यह आदेश क्या उसकी पूर्व-योजना का हिस्सा था — यानी क्या उसने जानबूझकर यह सुनिश्चित किया था कि उसका विचार सार्वजनिक न हो सके, लेकिन बाद में वीडियो कहीं न कहीं रह गया।
उमर की रणनीति और रेडिकल विचारधारा
- उमर की इस सोच से यह संकेत मिलता है कि वह आत्मघाती हमले को सिर्फ “आत्म-संशोधन” या “आध्यात्मिक बलिदान” मानता था, न कि कुछ गैरकानूनी या अराजक व्यवहार।
- उसकी भाषा और तर्क यह दर्शाते हैं कि उसने यह विचार गहराई से आत्मसात किया था — यह कोई आकस्मिक विचार नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से तैयार किया गया था।
- जांचकर्ता मान रहे हैं कि यह वीडियो उसकी स्व-भड़काऊ प्रेरणा का स्पष्ट सबूत है, और यह संभावित रूप से अन्य लोगों को कट्टरपंथी मानसिकता की ओर आकर्षित करने का माध्यम हो सकता था।
- इस तरह की विचारधारा यह दिखाती है कि इस घटना में सिर्फ हिंसा नहीं थी, बल्कि व्यक्तिगत कट्टरवाद और धार्मिक दृष्टिकोण का एक सामाजिक‑राजनीतिक एजेंडा भी रही हो सकती है।
जांच एजेंसियों की प्रतिक्रिया और अगले कदम
- NIA, स्पेशल सेल और अन्य एजेंसियां विडियो की प्रमाणीकरण प्रक्रिया में हैं — वे यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि वीडियो का स्रोत, रिकॉर्डिंग समय, और उसमें कही गई बातें पूरी तरह सहि हैं।
- एजेंसियाँ यह विश्लेषण कर रही हैं कि क्या इस वीडियो को लेकिन प्रचार के लिए बनाया गया था — ताकि अन्य युवाओं को कट्टरवाद के विचारों की ओर आकर्षित किया जा सके।
- साथ ही, वे यह देखना चाह रही हैं कि उमर ने अपने दूसरे फोन या अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी ऐसे विचार साझा किए थे या नहीं।
- कानूनी रूप से यह वीडियो एक मजबूत सबूत हो सकता है कि उसका हमला न सिर्फ आतंकवादी था बल्कि उस पर विचारपूर्वक आत्मा‑बलिदान की योजना भी थी।
सामाजिक, सुरक्षा और शैक्षणिक चुनौतियाँ
- युवा मनोवृत्ति के लिए खतरा
उमर जैसा शिक्षित व्यक्ति (डॉक्टर) यदि आत्मघाती हमले को “शहादत” मानता है, तो यह विचार खासकर युवाओं में खतरनाक रूप से फैल सकता है। - निरोध और नीतिगत प्रतिक्रिया
सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों को आत्मघाती हमलों की विचारधारा को पहचानने और समय रहते रोकने के लिए नीतिगत कदम उठाने की मांग है — जैसे मानसिक स्वास्थ्य योजना, चेतना अभियान, धार्मिक मंचों पर संवाद। - शिक्षा संस्थानों की भूमिका
विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके स्टूडेंट्स के बीच चरमपंथी विचारों का प्रचार न हो — छात्रों को सुरक्षित, न्यायोचित और मान्य विचार-विमर्श के लिए प्लेटफॉर्म मिलना चाहिए। - जांच का दायरा बढ़ाना
यह वीडियो अकेला मामला नहीं हो सकता — जांच को व्यापक स्तर पर ले जाना होगा, यह देखने के लिए कि उमर का नेटवर्क कहां तक फैला है, और क्या अन्य सह-संघर्षी (co-conspirators) भी ऐसे विचारों को प्रचारित कर रहे थे।
निष्कर्ष
उमर उन नबी के उस पुराने वीडियो का खुलासा जिसने “सुसाइड बमिंग” को आत्म-संशोधन की बजाय “शहादत ऑपरेशन” की तरह बताया, जांच के लिए एक बड़ा मोड़ है। जांचकर्ता इस वीडियो को सिर्फ भावुक भाषण नहीं, बल्कि उनकी रणनीतिक मानसिकता का दस्तावेज़ मान रहे हैं।
यह खुलासा इस बात की गवाही देता है कि रेड फोर्ट धमाका की पृष्ठभूमि सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं थी — यह एक राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई का हिस्सा भी था।
अब यह देखना बाकी है कि एजेंसियाँ इस वीडियो को कैसे इस्तेमाल करती हैं — क्या यह उनके मुकदमे को मजबूत करेगा, और क्या इससे अन्य भड़काऊ विचारों का फैलाव रोका जा सकता है। देश और समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के खतरनाक विचारों को सिर्फ कार्रवाई के स्तर पर रोका न जाए, बल्कि उनकी जड़ों तक पैनी निगाह रखी जाए।
