Indore में अवैध शराब की होम-डिलीवरी का नेटवर्क पकड़ाया गया — एक लाख से अधिक की शराब, दो वाहन जब्त

अमर उजाला की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अवैध शराब की होम-डिलीवरी (घर तक शराब पहुँचाने) का एक नेटवर्क सक्रिय था, जिसे आबकारी विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में धड़ल्ले से पकड़ा गया।


दो अलग-अलग घटनाओं में, विभाग ने एक युवक को जुपिटर बाइक से एवं दूसरे आरोपी को ऑटो रिक्शा से अवैध शराब पहुँचाते हुए गिरफ्तार किया। जब्त की गई शराब व वाहन की कुल कीमत ₹1 लाख से अधिक बताई गई है। इस कार्रवाई से न सिर्फ अवैध शराब कारोबार के नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, बल्कि इस तरह की डिलीवरी स्कीम की गंभीरता और आम लोगों तक शराब पहुंचाने के तरीके भी उजागर हुए हैं।



जांच-पड़ताल एवं गिरफ्तार आरोपी

पहली गिरफ्तारी — बाइक पर शराब होम-डिलीवरी

वृत्त आंतरिक क्षेत्र क्रमांक 01 की आबकारी टीम ने मुखबिर की सूचना पर चोइथराम मंडी के पास नाकाबंदी की। यहाँ एक ग्रे रंग की जुपिटर गाड़ी (रजिस्ट्रेशन MP09-DM6019) को रोका गया। वाहन चालक — हर्ष (पिता: दिलीप), बिजलपुर का निवासी — शराब की होम-डिलीवरी के लिए जा रहा था। तलाशी में उसके पास विदेशी शराब की एक पेटी पाई गई। टीम ने शराब व बाइक जब्त कर ली। इस शराब की अनुमानित कीमत लगभग ₹75,000 बताई गई है।



दूसरी गिरफ्तारी — ऑटो रिक्शा में विदेशी शराब की तस्करी


इसी तरह, वृत्त बालदा कॉलोनी व बॉम्बे बाजार प्रभारी मीरा सिंह की टीम ने मुखबिर से सूचना मिलने पर चोइथराम चौराहा से आगे एबी-रोड पर एक ऑटो रिक्शा की जांच की। ऑटो में सवार गौरव मालवीय (पिता: जगदीश, निवासी सेजावत, रतलाम) के पास से एक बैग और अटैची मिली, जिसमें कुल 24 बोतल विदेशी शराब बरामद हुई। इन शराब की कीमत लगभग ₹32,334 आंकी गई है।


इन दोनों ही मामलों में आबकारी विभाग ने मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम, 1915 की प्रासंगिक धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।



यह मामला क्यों खास है? — होम-डिलीवरी नेटवर्क का खुलासा


  • आम तौर पर अवैध शराब तस्करी में सामान पैदल या गाड़ी द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जाते हैं। लेकिन इस बार मामला “होम-डिलीवरी” का है — यानी शराब सीधे उपभोक्ता के घर तक पहुँचाई जा रही थी। यह दर्शाता है कि अवैध शराब माफिया न सिर्फ सप्लाई-रूट पर हैं, बल्कि उपभोक्ता तक पहुँचने वाले नेटवर्क भी बना चुके थे।
  • कार्रवाई में पकड़ा गया दोपहिया वाहन और ऑटो — यह संकेत देता है कि वाहन बदल-बदल कर शराब पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी, ताकि पुलिस की नाकामी रहे।
  • जब्त शराब तथा वाहनों की कुल कीमत एक लाख से अधिक बताई गई है — यह सिर्फ एक सिंगल डिलीवरी मामला हो सकता है, लेकिन अगर इस तरह की डिलीवरियाँ रोज हों, तो इसके आर्थिक व सामाजिक असर कई गुणा हो सकते थे।


इंदौर में आबकारी विभाग की कार्रवाई: कितनी प्रभावी?


पिछले महीनों में इंदौर व आसपास के जिलों में अवैध शराब पर कारगर कार्रवाई की गई है। उदाहरण के लिए:


  • सितंबर 2025 में आगर-मालवा पुलिस ने 390 लीटर अवैध शराब जब्त की थी, जिसकी कीमत लगभग ₹1.46 लाख थी।
  • अगस्त 2025 में एक बड़ी तस्करी में पुलिस ने एक टैंकर से विदेशी शराब के 1,004 कार्डन बरामद किए थे, जिसकी कीमत ₹1.44 करोड़ बताई गई थी। 
  • इस प्रकार की कार्रवाई यह दिखाती है कि शराब तस्करी सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है — बल्कि अंतर-राज्यीय नेटवर्क व परिवहन मार्गों से होकर व्यापक स्तर पर फैली हुई है।



इन मामलों के बीच, आबकारी विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि सिर्फ अवैध शराब पकड़ना ही पर्याप्त नहीं — इसे बेचने वाले, परिवहन करने वाले, सप्लाई-चेन के अन्य सदस्यों तक पहुँचना भी जरूरी है। इसी उद्देश्य से “होम-डिलीवरी” नेटवर्क को निशाना बनाया गया।


सामाजिक व कानूनी मायने: क्या हो सकती थी If कार्रवाई न होती


अगर पुलिस-अबकारी विभाग ने इस कार्रवाई न की होती, तो होम-डिलीवरी नेटवर्क अवैध शराब को आम लोगों तक पहुँचाने का एक स्थायी माध्यम बन गया होता। इसके नतीजे हो सकते थे:


  • शराब की आसान उपलब्धता से सार्वजनिक स्वास्थ्य, युवा वर्ग, सड़क सुरक्षा, सामाजिक अपराध आदि पर बुरा असर।
  • आबकारी राजस्व को भारी नुकसान — क्योंकि ये शराब बिना लाइसेंस व टैक्स के बेची जा रही थी।
  • नगर में अवैध शराब कारोबार व माफिया नेटवर्क का विस्तार, जिससे समाज में नशाखोरी बढ़ सकती थी।


जिन लोगों पर ध्यान देना होगा — प्रशासन, आम नागरिक, पुलिस

आबकारी विभाग व पुलिस — सतर्कता और नज़र बनाए रखें


  • सिर्फ शहर की सीमाओं तक नहीं, बल्कि उपनगरीय व ग्रामीण इलाकों में भी नाकाबंदी रखनी होगी।
  • मुखबिरों, शिकायतकर्ताओं व सूचना देने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए — ताकि किसी भी तरह की अवैध डिलीवरी या तस्करी की सूचना मिल सके।
  • पकड़ी गई शराब, वाहन, रिकॉर्ड आदि को तुरंत नष्ट या वैज्ञानिक तरीके से फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाए, ताकि बड़े नेटवर्क का खुलासा हो सके।


आम नागरिक — जिम्मेदारी व सतर्कता


  • कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या वाहक जो शराब घर तक पहुँचाने का दावा करता हो — उसके बारे में पुलिस या आबकारी विभाग को सूचना दें।
  • स्वयं या बच्चों को शराब खरीदने/पीने से बचाएँ; अवैध शराब के सेवन से स्वास्थ्य व सामाजिक दोनों प्रकार के खतरे होते हैं।
  • शराब के किसी भी अवैध कारोबार में शामिल न हों — चाहे वो खरीद हो, होम-डिलीवरी हो, या परिवहन।


निष्कर्ष

इंदौर में अवैध शराब की होम-डिलीवरी पकड़े जाना — यह सिर्फ एक मामूली कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि शराब माफिया अब पुराने तरीकों से आगे बढ़ कर नई रणनीतियाँ अपना रहे थे। अगर समय रहते कार्रवाई न होती — तो यह नेटवर्क और बड़ा हो सकता था, और आम लोगों तक अवैध व बिना नियंत्रण शराब पहुंच जाती।


इस मामले में आबकारी विभाग व पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है — भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता, प्रशासन की सतर्कता और नागरिकों की जिम्मेदारी मिल कर काम करना होगा।