Donald Trump: का बड़ा दावा: भारत‑पाक तनाव उनके “350% टैरिफ” धमकी के बाद थमा, मोदी ने कहा “हम युद्ध नहीं करेंगे”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से बड़ा और विवादित दावा किया है: उन्होंने कहा है कि मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को 350% टैरिफ की धमकी देकर शांत करवाया था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन करके कहा था, “हम युद्ध नहीं करने वाले।” यह दावा ट्रम्प ने 60 बार से भी ज़्यादा दोहराया है। 


हालाँकि, भारत की ओर से इन दावों से इनकार किया गया है। भारत का कहना है कि सीमावार्ता (ceasefire) बातचीत सीधे दोनों देशों के मिलिटरी चैनलों के ज़रिए हुई थी, “तीसरे पक्ष की मध्यस्थता” कोई भूमिका नहीं निभा रही थी। 



ट्रम्प की दलील: “मैंने व्यापार दबाव से युद्ध टाला”

  • ट्रम्प ने US‑Saudi इन्वेस्टमेंट फोरम में कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर वे लड़ते रहेंगे, तो अमेरिका उनके साथ व्यापार नहीं करेगा और बहुत बड़े टैरिफ लगाएगा:
    “मैं दोनों पर 350% टैरिफ लगाने वाला था … आप लोग लड़ सकते हैं, लेकिन मैं nuclear युद्ध नहीं होने दूँगा।”  
  • ट्रम्प का कहना है कि इस धमकी के बाद दोनों देशों ने उनसे कहा, “हम समझ गए हैं,” और तनाव कम कर दिया।  
  • उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उन्हें धन्यवाद किया था, क्योंकि “मिलियन्स ऑफ़ लाइव्स” बचाई गई थीं।  
  • ट्रम्प ने कहा,
    “मैं विवादों को सुलझाने में माहिर हूँ … मैं हमेशा ऐसा करता रहा हूँ … मैंने सिर्फ अर्थव्यवस्था और व्यापार का उपयोग किया।”  


भारत का जवाब: मध्यस्थता से इनकार और वास्तविक कारणों की व्याख्या

  • भारत बार-बार कह रहा है कि कोई तीसरी पार्टी (जैसे अमेरिका) मध्यस्थ (mediator) नहीं थी। भारत के विदेश मंत्री और अधिकारियों ने बताया है कि सीमावार्ता बातचीत DGMO‑लेवल (मिलिटरी डायरेक्टर जनरल) की गई थी।  
  • Economic Times में कहा गया है कि भारत ने यह स्पष्ट किया है कि यह समझौता “स्वतंत्र सैन्य चैनलों” से हुआ था।  
  • कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने ट्रम्प के दावे पर सवाल उठाया है और मोदी से सार्वजनिक रूप से इसे खारिज करने को कहा है।  
  • Hindustan Times की रिपोर्ट में भी ट्रम्प का बयान उद्धृत है — जिसमें उन्होंने मोदी को “मज़ेदार आदमी” कहा और दोनों देशों में युद्ध को रोकने का श्रेय खुद को दिया।  



राजनीतिक और कूटनीतिक मायने

  1. ट्रम्प की कूटनीति का मॉडल
    ट्रम्प का यह दावा “व्यापार दबाव (trade diplomacy)” के मॉडेल को दर्शाता है — जहाँ उन्होंने व्यापार बढ़ाने और टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर महत्वपूर्ण शासन-संकटों को हल करने की बात कही है।
  2. भारत‑अमेरिका संबंध
    ऐसे दावे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में जटिलता ला सकते हैं। जबकि ट्रम्प अपने स्वयं के राजनीतिक लाभ के लिए इन दावों का इस्तेमाल कर सकता है, भारत इसमें अधिक सावधान रणनीति अपना रहा है और मध्यस्थता के दावों से इन्कार कर रहा है।
  3. नाभिकीय सुरक्षा चिंताएँ
    ट्रम्प ने “दो परमाणु-शक्ति देश” (भारत और पाकिस्तान) की बात करते समय ऐसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है जो यह दर्शाते हैं कि उन्होंने एक संभावित परमाणु झगड़े की भयावहता को गंभीरता से लिया था और उसे व्यापार दबाव के माध्यम से नियंत्रित करने का दावा किया है।  
  4. अंतरराष्ट्रीय छवि
    ट्रम्प के दावों का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है — जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह रणनीति सिर्फ घरेलू पब्लिसिटी है, या वास्तव में अमेरिका ने एक शांतिप्रिय भूमिका निभाई है।


विश्लेषण: क्या ट्रम्प का दावा सच में यथार्थ के करीब है?


  • ट्रम्प कई बार इस दावे को दोहरा चुके हैं — उनका कहना है कि उन्होंने “8 युद्धों” को इसी तरह हल किया, जिनमें से एक भारत‑पाक संघर्ष भी था।  
  • लेकिन भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह लड़ाइयाँ और तनाव “सीधे सैनिक चैनलों” के माध्यम से ही हल हुए और भारत ने किसी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया।  
  • यह भी संभव है कि ट्रम्प इस दावे का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक छवि को “शांतिप्रिय मध्यस्थ” और “व्यापार दबाव विशेषज्ञ” के रूप में सुधारने के लिए कर रहा हो।
  • कुछ विश्लेषक यह तर्क देते हैं कि ट्रम्प इस दावे को पहले भी कर चुका है (60+ बार) — इससे यह स्पष्ट है कि वह उसे अपनी रणनीति का हिस्सा बना चुका है।  
  • वहीं, अगर ट्रम्प का दायरा सच हुआ हो, तो यह आधुनिक कूटनीति में “व्यापार युद्ध” की ताकत का एक नयी व्याख्या देता है — जहाँ आर्थिक हथियारों का उपयोग सीधे सैन्य और परमाणु तनावों को कम करने के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा — कि उन्होंने 350% टैरिफ की धमकी देकर भारत‑पाकिस्तान युद्ध को रोका और ट्रंप-मोदी फोन कॉल में यह तय हुआ कि “हम युद्ध नहीं करेंगे” — निश्चित रूप से जनवरी‑सितंबर 2025 की विश्व राजनैतिक कहानियों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।


यह दावा न सिर्फ ट्रम्प की कूटनीतिक दृष्टि को दर्शाता है, बल्कि भारत की सैन्य और राजनीतिक रणनीति, अमेरिका‑भारत संबंध और भारत‑पाक तनाव के भविष्य के स्वरूप पर गहरे सवाल खड़े करता है।


यदि ट्रम्प सही है, तो यह दर्शाता है कि व्यापार और आर्थिक दबाव युद्ध की पूर्व शांति बनाने में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकते हैं। अगर गलत है, तो यह सिर्फ एक प्रचार रणनीति है — जिसे ट्रम्प अपनी पॉलिटिकल छवि को आकार देने के लिए बार-बार दोहरा रहा है।


चुनाव आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस दावे को सार्वजनिक रूप से कैसे निपटाता है — और क्या यह कूटनीतिक कहानी सिर्फ एक विवाद है या वास्तविकता का हिस्सा।