Faridabad: पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दिल्ली लाल किला धमाके से कथित संबंधों की जांच के लिए SIT का गठन किया

दिल्ली के लाल किला धमाके के बाद फरीदाबाद पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आतंकवादी मॉड्यूल के कथित संबंधों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, SIT में दो सहायक पुलिस आयुक्त (ACP), एक इंस्पेक्टर और दो सब-इंस्पेक्टर शामिल हैं, जो विश्वविद्यालय के संचालन, फंडिंग, और संभावित आतंकवादी नेटवर्क की गहराई से जांच करेंगे। (hindustantimes.com)



कैंपस में चरमपंथ की जांच

फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर सतेन्द्र कुमार गुप्ता के अनुसार, जांच का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि कैसे विश्वविद्यालय में चरमपंथी गतिविधियों को लंबे समय तक पहचान से बाहर रखा गया। SIT यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि विश्वविद्यालय के दो डॉक्टर कैसे “सुरक्षित हब” के रूप में परिसर का उपयोग कर रहे थे और विस्फोटक सामग्री का परिवहन कैसे किया गया।


प्रारंभिक जांच में पता चला है कि धमाके में इस्तेमाल होने वाली विस्फोटक सामग्री का स्रोत धौज गांव था, जो विश्वविद्यालय के निकट है। SIT यह भी पता लगा रही है कि किसने इस सामग्री के प्रवाह की सुविधा दी और क्या आसपास के गाँवों में कोई सहयोग नेटवर्क था।


उच्च-स्तरीय निगरानी

SIT के गठन के बाद हरियाणा DGP ओ. पी. सिंह ने निर्देश दिया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वयं इस जांच की निगरानी करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशासन “फ्रंट से नेतृत्व करे” ताकि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखा जा सके।


SIT के जांच क्षेत्र


  1. फंडिंग चैनल: विश्वविद्यालय के फंडिंग स्रोत और उनके आतंकवादी गतिविधियों से संभावित संबंध।
  2. विस्फोटक आपूर्ति श्रृंखला: धौज गांव से दिल्ली तक विस्फोटक सामग्री का मार्ग।
  3. स्थानीय सहयोग और कैंपस की भूमिका: स्थानीय निवासी या स्टाफ की भागीदारी और परिसर का उपयोग।
  4. गुमशुदगी/अनुपस्थिति: कुछ फैकल्टी सदस्यों की जांच, जो मामले के सामने आने के बाद गायब हुए।



केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां

इस SIT जांच के साथ-साथ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने विश्वविद्यालय से जुड़े 25 से अधिक संपत्तियों पर छापे मारे हैं। इसका उद्देश्य कथित मनी लॉन्ड्रिंग और “व्हाइट कॉलर टेरर” वित्तीय मॉड्यूल की जांच करना है।


राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और अन्य नियामक संस्थाओं ने विश्वविद्यालय की मान्यता और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को दस्तावेज़ पेश करने के लिए समन भेजा है।


आतंकवादी मॉड्यूल और संदेही

जांच में सामने आया है कि विश्वविद्यालय में काम करने वाले कम से कम दो डॉक्टर लाल किला धमाके में शामिल थे। इनके पास से कैम्पस में रखी डायरी और नोटबुकें मिली हैं, जिनमें दो साल की योजना, संपर्क विवरण और धमाकों की तारीखें दर्ज थीं।


विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया और प्रभाव

विश्वविद्यालय के उपकुलपति ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने व्यक्तिगत स्तर पर कार्य किया। हालांकि, विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है, और इसे उत्तर ज़ोन इंटर‑यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट से हटा दिया गया।


SIT जांच का महत्व

फरीदाबाद पुलिस द्वारा SIT का गठन स्थानीय जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह जांच यह स्पष्ट कर सकती है कि शैक्षणिक संस्थानों में चरमपंथ कैसे लंबे समय तक छिपा रह सकता है।


आगे क्या होगा


  • SIT विश्वविद्यालय के वित्तीय स्रोत, कर्मचारियों और विस्फोटक लॉजिस्टिक्स पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
  • ED और संभवतः NIA इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई कर सकती हैं।
  • NMC, UGC और NAAC विश्वविद्यालय पर अतिरिक्त कार्रवाई कर सकते हैं।
  • विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और मान्यता पर असर पड़ सकता है।


निष्कर्ष

फरीदाबाद पुलिस द्वारा गठित SIT ने लाल किला धमाके में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की कथित भागीदारी की जांच की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह जांच न केवल वित्तीय और प्रशासनिक पहलुओं की गहराई से पड़ताल करेगी, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगी कि शैक्षणिक संस्थानों में चरमपंथ किस प्रकार से जड़ पकड़ सकता है।