मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में पुलिस ने एक चौंकाने वाला माफिया गिरोह गिरफ्तार किया है, जिसने नागा साधु का भेष पहनकर हाईवे यात्रियों से लूटपाट की वारदातें अंजाम दी थीं। यह खबर जागरण द्वारा रिपोर्ट की गई है कि इस गिरोह ने शाजापुर और भैरवगढ़ क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर कई घटनाओं को अंजाम दिया था। पुलिस ने आरोपियों को पालखंदा इलाके में घेराबंदी कर पकड़ा और उनके कब्जे से नगदी और सोने की अंगूठियां बरामद की हैं।
घटना का पूरा पैमाना और आरोपियों की पहचान
- उज्जैन पुलिस के अनुसार, 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
- आरोपियों की पहचान इस प्रकार है:
- अली नाथ, पुत्र धर्मवीर नाथ, उम्र 20 वर्ष, करनाल (हरियाणा)
- मगन नाथ, 19 वर्ष, नजफगढ़ (दिल्ली)
- अरुण नाथ, 25 वर्ष, सोनीपत (हरियाणा)
- राजेश नाथ, 41 वर्ष, दिल्ली
- रूमालनाथ, 60 वर्ष, दिल्ली
- बिरजू नाथ, 45 वर्ष, दिल्ली
- राकेश कुमार, 45 वर्ष, दिल्ली
- ये गिरोह इंटर-स्टेट था, यानी सदस्य हरियाणा और दिल्ली से हैं।
लूट की वारदात का डरावना तरीका
- पीड़ितों में मंसूर अली पटेल (41 वर्ष) और उनका परिवार शामिल था — वह अपनी पत्नी हीना बी और दो बच्चों के साथ अपनी कार (एमपी-09 जेडवी) से इंदौर की ओर जा रहे थे।
- जैसे ही उनकी कार नीमनवासा मोड़ के पास पहुंची, चार लोग नागा साधु के वेश में सामने आ गए और चार और उनके साथी भी शामिल हो गए।
- आरोपियों ने पहले उन्हें “भस्म देने” की धमकी दी — कहा कि अगर जेवर और पैसे नहीं दिए गए, तो उन्हें “भस्म” कर देंगे।
- उन्होंने दो सोने की अंगूठियाँ और लगभग ₹5,000 नगदी लूट लिए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी
- लूट की सूचना मिलते ही उज्जैन पुलिस हरकत में आई। नरवर थाना पुलिस और देवास-रोड टीम ने पालखंदा इलाके में चेकिंग शुरू की।
- महज 30 मिनट के अंदर ही आरोपियों की घेराबंदी कर उन्हें पकड़ लिया गया।
- आरोपियों की गाड़ी अर्टिगा प्रकार की थी, जिसे पुलिस ने भी जब्त किया।
- आरोपियों के कब्जे से “कमंडल” (साधुओं का बर्तन) में छिपाया गया सोना और नकदी बरामद हुई है।
गिरोह की मानसिकता और पिछली घटनाएँ
- पूछताछ में आरोपियों ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने उज्जैन, घट्टिया, देवास और शाजापुर में इसी तरह की कई लूटपाट की थीं।
- एक अन्य घटना में, शाजापुर के भैरव डूंगरी बाईपास पर भी एक मुस्लिम परिवार को नागा साधुओं के वेशधारी बदमाशों ने रोका, और जेवर व नकदी छीनी।
- पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह गिरोह काफी संगठित है और वे अपने अपराधों को शातिराना तरीके से अंजाम देते रहे हैं — उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को स्पीड और सटीक रणनीति अपनानी पड़ी।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
- एसपी (उज्जैन) प्रदीप शर्मा ने कहा है कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हुई है और उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि पर जाँच की जा रही है।
- उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे गिरोहों को “किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा”, और पुलिस उनकी नेटवर्क की गहराई में जाकर जांच करेगी।
- पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध साधु-वेशधारी समूह की गतिविधियों की तुरंत सूचना डायल 112 पर दें।
- इसके अलावा, पुष्टि की गई है कि पुलिस इस गिरोह के अन्य संभावित अपराधों — जैसे कि और हाईवे लूट, विभिन्न जिलों में वारदातें — की भी जांच कर रही है।
सामाजिक और सुरक्षा उपाय: क्यों यह घटना चिंताजनक है?
- धार्मिक प्रतिमान का दुरुपयोग
- नागा साधुओं का वेश धार्मिक श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक होता है। ऐसे वेशधारी अपराधी इस विश्वास का दुरुपयोग कर लोगों को निशाना बना रहे हैं, जो समाज में एक गहरी चिंता पैदा करता है।
- इंटर-स्टेट प्रकृति
- इन आरोपियों में कई लोग दिल्ली और हरियाणा के रहने वाले हैं, जो यह दिखाता है कि घटना सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं हुई, बल्कि एक अंतर-राज्यीय गिरोह ने काम किया है।
- तेज़ पुलिस कार्रवाई का महत्व
- आरोपी सिर्फ 30 मिनट में पकड़े गए — यह पुलिस की तत्परता और गहरी खुफिया तैयारियों का प्रमाण है। ऐसी कार्रवाई अन्य संभावित गिरोहों को चेतावनी देती है।
- सुरक्षा और रोकथाम की जरूरत
- धार्मिक यात्रियों या साधु-वेशधारी समूहों के साथ संवाद बढ़ाकर, पुलिस और नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।
- आगे ऐसी वारदातों को रोकने के लिए हाईवे चेकपॉइंट, नियमित गश्त और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग का तंत्र मजबूत किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
उज्जैन में नागा साधु का वेश धारण करके हाईवे यात्रियों को लूटने वाला यह गिरोह सिर्फ एक सामान्य अपराधी समूह नहीं है — यह धार्मिक विश्वासों की आड़ में काम करने वाले संगठन का उदाहरण है।
पुलिस की तेज़ और प्रभावी प्रतिक्रिया ने इस गिरोह को उनके किए गए अपराधों के लिए पकड़ने में सफलता दिलाई, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। मामले की गहन जाँच और हमें ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सामाजिक, कानूनी और सुरक्षा-हितों के दृष्टिकोण से गंभीर कदम उठाने होंगे।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि जब अपराधी धार्मिक वेशधारी बन जाते हैं, तो उनकी साजिश और चालाकी अधिक खतरनाक हो सकती है — और इसे रोकना हम सब की जिम्मेदारी है।
