दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता हाल ही में एक बार फिर चिंताजनक स्तर तक पहुँच गई है। प्रदूषण बढ़ने पर Commission for Air Quality Management (CAQM) ने सख्त कदम उठाते हुए नोएडा और गाज़ियाबाद में डीजल ऑटो Rickshaw की पाबंदी लगा दी है। साथ ही, पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को ईंधन न देने की “No-Fuel Policy” भी लागू की गई है, जो 31 दिसंबर 2025 तक चरणबद्ध तरीके से पुराने (end-of-life) वाहनों को बंद करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। India.com की रिपोर्ट के मुताबिक, यह निर्णय गहरे प्रदूषण, बढ़ते AQI और GRAP (Graded Response Action Plan) की आवश्यकताओं के मद्देनज़र लिया गया है।
पृष्ठभूमि: प्रदूषण की बिगड़ती चुनौती
- दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) हाल के दिनों में “गंभीर” (Severe) स्तर के करीब पहुंच चुका है। इस कारण CAQM ने GRAP स्टेज-III लागू किया है, जिसमें पुराने और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर विशेष प्रतिबंध शामिल हैं।
- GRAP-III के तहत, BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल चार-पहिया वाहनों को NCR के कुछ हिस्सों में चलने से प्रतिबंधित किया गया है।
- AQI के लगातार ख़राब रहने और प्रदूषण के स्रोतों (जिनमें वाहनों का उत्सर्जन भी शामिल है) को नियंत्रित करने की ज़रूरत के मद्देनज़र, CAQM ने यह फैसला लिया है कि पुराने डीजल ऑटो और अन्य पुराने वाहन प्रदूषण को रोकने में बड़ी बाधा बने हुए हैं।
नए निर्देश और प्रतिबंध: क्या बदला है?
डीजल ऑटो पर प्रतिबंध
- नोएडा और गाज़ियाबाद में अब डीजल-रन ऑटो Rickshaw चलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह कदम CAQM और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उठाया गया है।
- यह प्रतिबंध गैर-संभव वाहन को पहचानने और सीमित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि ऑटो Rickshaw अक्सर लंबे समय तक चलते है और उनका उत्सर्जन वायु में विस्तार से योगदान करता है।
पुरानी वाहनों के लिए “No-Fuel Policy”
- 1 नवंबर 2025 से, NCR के कुछ जिलों (जैसे नोएडा और गाज़ियाबाद) में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल या डीजल देने पर रोक लगा दी गई है।
- CAQM की यह रणनीति पुराने (end-of-life) वाहनों को धीरे-धीरे चरणबद्ध रूप से रास्ते से हटाने की है, ताकि वायु प्रदूषण को लंबे समय में नियंत्रित किया जा सके।
- टोले बंदी या सीमित प्रवेश के अलावा, ईंधन उपलब्ध न कराने का कदम यह सुनिश्चित करेगा कि ये पुरानी गाड़ियाँ NCR की सड़कों पर न चल सकें, जिससे उनका उत्सर्जन और प्रदूषण में योगदान कम होगा।
अन्य वाहन प्रतिबंध
- BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर GRAP-III के तहत और सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। इनमें चार-पहिया वाहन विशेष रूप से शामिल हैं।
- इन नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की संभावना है।
- इन प्रतिबंधों का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को NCR के भीतर चलने से रोकना, और स्वच्छ ईंधन वाले वाहनों (जैसे CNG, इलेक्ट्रिक) को बढ़ावा देना है।
लोक प्रतिक्रिया और सामाजिक प्रभाव
- यातायात और जनता की परेशानी
- बहुत से दैनिक उपयोग करने वाले वाहन-स्वामियों के लिए यह फैसला बड़ा झटका है। पुराने डीजल वाहन वाले ड्राइवरों ने कहा है कि उन्हें अपनी दैनिक ट्रैवल का विकल्प बदलना पड़ेगा।
- कुछ नागरिकों ने सार्वजनिक परिवहन और “ग्रीन ट्रांसपोर्ट” पर अधिक निवेश की मांग की है, क्योंकि प्रतिबंधों के कारण रोज़मर्रा की आवाजाही मुश्किल हो सकती है।
- परिवर्तन को लेकर समर्थन
- प्रदूषण-नियंत्रक संगठन और पर्यावरण विशेषज्ञों ने CAQM के कदम की सराहना की है। वे मानते हैं कि पुराने और अधिक प्रदूषण करने वाले वाहन NCR की हवा को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं और उनका विकल्प बंद करना जरूरी था।
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और CNG वाहनों को बढ़ावा देने के इस फैसले को अनेक पर्यावरणीय समूह “स्वच्छ भविष्य की दिशा” में सही कदम मान रहे हैं।
- आर्थिक और सामाजिक न्याय
- हालांकि, कुछ स्वामी यह तर्क दे रहे हैं कि यह प्रतिबंध गरीब ड्राइवरों की आमदनी को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि पुराने ऑटो Rickshaw अक्सर सस्ते विकल्प होते हैं।
- इस पर सार्वजनिक बहस चल रही है कि प्रदूषण नियंत्रण और सामाजिक-आर्थिक न्याय के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
CAQM की चुनौतियाँ और आगे की राह
- निगरानी और कार्यान्वयन: नियमों का सिर्फ बनाना ही काफी नहीं; उनकी जमीनी स्तर पर निगरानी और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा। बिना कड़े निरीक्षण के कई वाहन प्रतिबंधों का उल्लंघन कर सकते हैं।
- परिवर्तन का समर्थन: सरकार और परिवहन विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऑटो चालकों और क्षेत्रीय वाहन मालिकों को विकल्प दिए जाएँ — जैसे इलेक्ट्रिक ऑटो के सब्सिडी, वित्तीय सहायता या पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने की योजना।
- जन जागरूकता: आम जनता को यह समझना होगा कि ये कदम अस्थायी असुविधा के लिए उठाये गए हैं — लेकिन लाभ लंबी अवधि में अधिक स्वच्छ हवा और बेहतर स्वास्थ्य रूप में मिलेगा।
- दीर्घकालीन रणनीति: CAQM को यह देखना चाहिए कि केवल वाहनों को प्रतिबंधित करने से काम नहीं चलेगा — कचरा निर्माण, धूल उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए भी आगे की योजनाएँ चाहिए।
निष्कर्ष
दिल्ली-एनसीआर में डीजल ऑटो पर पाबंदी और पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों के लिए “No-Fuel Policy” लागू करना CAQM का एक स्पष्ट और निर्णायक कदम है। यह एक ऐसी नीति है जो प्रदूषण नियंत्रण को पहली प्राथमिकता देती है और वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में प्रभावी बदलाव लाने का प्रयास करती है।
हालांकि यह कदम कुछ लोगों के लिए कठिनाई का कारण बन सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि समाज इस थाने को समझे और समर्पित प्रयासों के साथ इसमें योगदान दे। CAQM, परिवहन विभाग और सार्वजनिक भागीदारों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये प्रतिबंध प्रभावी और न्यायसंगत हों — ताकि NCR की हवा न सिर्फ आज, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित बनाई जा सके।


