AL-Falah यूनिवर्सिटी की डॉक्टर शहीन शाहिद: पासपोर्ट वेरिफिकेशन भी संदिग्ध – दिल्ली धमाके की जांच में बड़ा मोड़

हरियाणा की Al-Falah यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. Shaheen Shahid का नाम एक बहु-राज्यीय आतंकवादी जाल से जुड़ी जांच में सामने आया है। दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए कार धमाके की जाँच में उनका आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने Jaish-e-Mohammed (JeM) की महिला इकाई को देश में सक्रिय करने में भूमिका निभाई। हालाँकि, उनकी छवि यूनिवर्सिटी में शांत, भरोसेमंद और पेशेवर डॉक्टर की रही — लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को उनके पिछले कदमों में कई संदिग्ध संकेत मिले हैं।  

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पासपोर्ट वेरिफिकेशन और भागने की साजिश

जांच एजेंसियों का मानना है कि डॉ. शाहिद ने पासपोर्ट आवेदन किया था और दुबई जाने की तैयारी कर रही थी। 


  • विशेष रूप से, 3 नवंबर को Faridabad पुलिस का एक अधिकारी यूनिवर्सिटी कैंपस आया और उन्होंने उनका फोटो लिया, जब वह पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए वहां थीं।  
  • यह कदम सुरक्षा एजेंसाओं के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उसी समय जाल के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही थी।  
  • जाँचकर्ताओं का आरोप है कि वो देश से भागने की योजना बना रही थीं — और पासपोर्ट यही उसकी रणनीति का हिस्सा था। 




अल-फलाह यूनिवर्सिटी में उनके कनेक्शन

  • डॉ. शाहिद, Al-Falah यूनिवर्सिटी (Faridabad) में फैकल्टी सदस्य थीं।  
  • यूनिवर्सिटी का संचालन Al-Falah Charitable Trust द्वारा किया जाता है, जिसमें कई ऐसे डॉक्टर शामिल हैं, जिनका आतंकवादी मामलों के साथ कथित संबंध है।  
  • जांच में यह भी सामने आया है कि उनकी एक कार — Maruti Brezza — यूनिवर्सिटी कैंपस के पास पायी गई।  
  • इसी कार से एक असॉल्ट राइफल मिलने की भी रिपोर्ट है, जिससे उनकी भूमिका और कथित आतंकवादी गतिविधियों में गहराई का सवाल उठता है। 



“व्हाइट-कोट” आतंकवाद की छाया

  • जांचकर्ताओं के मुताबिक, डॉ. शाहिद “white-coat terror module” (श्वेत कोट आतंकवादी जाल) का एक सक्रिय हिस्सा थीं, जिसमें डॉक्टरों का इस्तेमाल भर्ती, समर्थन और लॉजिस्टिक्स के लिए किया गया था।  
  • उनकी कथित भूमिका JeM की महिला शाखा Jamaat-ul-Momineen (या Mominaat) को भारत में संगठित करने की थी।  
  • सूत्रों के मुताबिक, जब मॉड्यूल में डॉक्टरों के बीच मतभेद होते थे, तो शाहिद विवाद सुलझाने में आगे आती थीं, जो उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है



उनके सहकर्मियों की प्रतिक्रिया

  • यूनिवर्सिटी के एक पूर्व सहकर्मी ने बताया कि शाहिद पूरी तरह से शिष्ट और पेशेवर थीं, और कभी किसी से खुली टकराव वाली स्थिति में नहीं दिखीं।  
  • वहीं कुछ प्रोफेसरों ने उनकी असामान्य घरेलू और पेशेवर गतिविधियों की बात भी कही है — जैसे कि अचानक कॉलेज छोड़ना, बिना बताये कार्यालय से गायब होना।  
  • एक प्रोफेसर ने बताया:
    “बहुत बार लोग उन्हें मिलने आते थे … उनकी गैरहाजिरी और अजीब व्यवहार के बारे में शिकायत भी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को हुई थीं।”



व्यक्तिगत पृष्ठभूमि और कथित कट्टरपंथ की शुरुआत

  • डॉ. शाहिद मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। उन्होंने Motilal Nehru Medical College (Allahabad) से MBBS और MD की डिग्री हासिल की थी।  
  • उनका विवाह Dr. Zafar Hayat से हुआ था, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया (2015 में)।  
  • तलाक के बाद, कहा जाता है कि उन्होंने अपने पेशेवर और व्यक्तिगत नेटवर्क में गहरा बदलाव किया और डॉ. Muzammil Ahmad Ganaie (Al-Falah के एक अन्य डॉक्टर) से संपर्क बनाया, जो इस आतंकवादी मॉड्यूल के अन्य प्रमुख सदस्य हैं।  
  • जांच एजेंसियों के मुताबिक, उन्होंने 2021 के बाद से चरमपंथी विचारों को बढ़ावा देना शुरू किया और JeM के साथ अपनी लॉजिस्टिक और भर्ती भूमिकाओं पर काम किया।


सुरक्षा एजेंसाओं की कार्रवाई

  • डॉ. शाहिद की गिरफ्तारी उनके लिंक का खुलासा करने वाले अन्य मामलों के बाद हुई — जैसे कि Faridabad विस्फोटक जाल, जिसमें लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री जब्त की गई थी।  
  • एजेंसियों ने कहा है कि उन्होंने उनकी डिजिटल और ट्रैवल ट्रेल (ऑनलाइन कम्युनिकेशन, यात्रा रिकॉर्ड) की जाँच शुरू कर दी है, ताकि यह समझा जा सके कि उन्होंने कब और कैसे JeM से संपर्क बनाए रखा।  
  • साथ ही, उनकी यूनिवर्सिटी में महत्त्वपूर्ण साधन — जैसे गाड़ियों और अन्य लॉजिस्टिक-साधन — भी जाँच के दायरे में हैं।  
  • जाँचकर्ता यह देखना चाहते हैं कि क्या यूनिवर्सिटी परिसर का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन, भर्ती और प्रशिक्षण के लिए किया गया था।



क्यों यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का है

  1. शिक्षा संस्थान में कट्टरपंथ
    यह मामला दिखाता है कि कैसे शिक्षा-संस्थानों का उपयोग आतंकवादी नेटवर्क लॉजिस्टिक और भर्ती हब के रूप में किया जा सकता है। Al-Falah यूनिवर्सिटी, जो एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है, अब एक “ग्राउंड जीरो” बनकर उभरी है।  
  2. श्वेत-कोट आतंकवाद
    “white-coat” आतंकवाद जैसे नेटवर्क यह संकेत देते हैं कि आतंकवादी मॉड्यूल सिर्फ हिंसात्मक गतिविधियों तक सीमित नहीं हैं — वे पेशेवरों के बीच पनप सकते हैं, और डॉक्टरों, शिक्षकों आदि की मदद से अधिक जटिल और खतरनाक रूप ले सकते हैं।
  3. महिला भर्ती और नेटवर्किंग
    ड्र. शाहिद पर JeM की महिला इकाई बनाने और उसे भारत में संगठित करने का आरोप है। यह बताता है कि आतंकवादी संगठन महिलाओं की नेटवर्किंग को भी सक्रियता से बढ़ा रहे हैं, जो लंबे समय में उनकी रणनीति को और मजबूत कर सकता है।  
  4. अंतरराष्ट्रीय भागने की संभावना
    पासपोर्ट वेरिफिकेशन और दुबई जाने की योजना यह संकेत देती है कि वह भारत के बाहर जाकर अपनी गतिविधियाँ जारी रखने का लक्ष्य रखती थीं।


निष्कर्ष

डॉ. Shaheen Shahid का मामला केवल एक आरोप नहीं है — यह उन खतरों की झलक है जो आधुनिक आतंकवाद में पेशेवर और शिक्षित वर्गों के गुप्त हिस्से से जुड़े हैं। एजेंसियों की जांच ने उनकी भूमिका को सिर्फ एक चिकित्सक की नहीं बल्कि एक रणनीतिक आयोजक की ओर इशारा किया है, जिसने JeM की महिला इकाई को भारत में स्थापित करने की कथित कोशिश की।

उनकी गिरफ्तारी और जांच यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि शिक्षा-संस्थानों में कहीं कट्टरपंथ और आतंकवाद न पनपे। साथ ही यह भी याद दिलाता है कि सुरक्षा एजेंसियों को सिर्फ हिंसात्मक खतरों पर ही नहीं, बल्कि ऐसे मॉड्यूल पर भी नजर रखनी होगी जो “शांत” पेशेवरों के रूप में छुपे हुए हो सकते हैं।