बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की धमाकेदार जीत के बाद अगले दिन राजनीतिक हलचलों का दौर जल्दी शुरू हो गया है। Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, गठबंधन के वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना स्थित आवास पर पहुँचने लगे हैं और राज्य में नई सरकार के गठन की बातचीत पटना और दिल्ली में तेज़ी से चल रही है।
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| Image Source - India Today |
1. नेताओं का जमावड़ा — नीतीश के आवास पर मिले गठबंधन के बड़े चेहरे
चुनाव नतीजों की घोषणा के अगले दिन ही, एनडीए की कई पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने नीतीश कुमार के घर (1, Aney Marg) पहुंचकर उन्हें जीत की बधाई दी और अगले राजनीतिक कदमों पर चर्चा की।
इन नेताओं में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान, जेडीयू के कुछ बड़े नेता और अन्य गठबंधन सहयोगी शामिल थे।
चिराग पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी एनडीए में सक्रिय भागीदारी की इच्छुक है और नई सरकार में भूमिका निभाना चाहेगी।
2. इस्तीफे की तैयारी — नीतीश कुमार आगामी कदमों के लिए तैयार
जैसा कि AajTak और अन्य रिपोर्टों में कहा गया है, नीतीश कुमार जल्द ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं। वह राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी औपचारिक त्याग-पत्र सौंपेंगे, जिसके बाद गठबंधन के विधायक दल की बैठक आयोजित की जाएगी।
बताया जा रहा है कि उन्होंने गठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर कैबिनेट के बंटवारे और मंत्रिमंडल संरचना पर पहले से ही मंथन शुरू कर दिया है।
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| Image Source - ABP News |
3. गठबंधन में भागीदारों की भागीदारी और भाग-वितरण
- एनडीए के सहयोगी दलों में जेडीयू, बीजेपी, LJP (रामविलास), और अन्य शामिल हैं, और सभी पार्टियाँ सरकार गठन की वार्ता में सक्रिय हैं।
- Hindustan Times की रिपोर्ट बताती है कि चिराग पासवान ने कहा है कि उनकी पार्टी न सिर्फ समर्थन देगी, बल्कि “सक्रिय भागीदार” बनकर राज्य सरकार में शामिल होना चाहती है।
- कुछ सहयोगी दल नए मंत्रियों की सूची, विभागों के बंटवारे और ओपचारिक समर्थन पत्र (letter of support) तैयार करने की तैयारियों में हैं।
4. समयसीमा पर सबकी नजर
- एनडीए नेताओं के अनुसार, 2-3 दिनों में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
- मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है, इसलिए नई सरकार उसी समय सीमा के अंदर शपथ ले सकती है।
- इसके पहले, गठबंधन के सभी निर्वाचित विधायकों की बैठकें होंगी, ताकि विधायक दल का नेता चुना जाए और कैबिनेट का मसौदा तैयार किया जा सके।
5. राजनीतिक महत्व और संदेश
- इस कदम से यह साफ़ हो रहा है कि एनडीए में एकता अभी मजबूत है। नेताओं का तुरंत नीतीश के घर पहुंचना, उनकी केंद्रीय और राज्य स्तर पर स्वीकार्यता दिखाता है।
- नीतीश कुमार की पुन: मुख्यमंत्री बनने की संभावना बहुत अधिक है — क्योंकि गठबंधन के कई हिस्से उनके नेतृत्व में भरोसा व्यक्त कर रहे हैं।
- यह भी संकेत मिलते हैं कि एनडीए नई सरकार में अनुभवी और नए चेहरों का संतुलन बनाए रखना चाहता है — ताकि विकास और स्थिरता दोनों का संदेश जनता को मिले।
- साथ ही, दिल्ली में भी बातचीत चल रही है, जो यह दर्शाता है कि केंद्र के नेताओं की भी इस नई सरकार को लेकर गहरी दिलचस्पी है।
6. चुनौतियाँ और अनुमान
- यह देखना बाकी है कि कैबिनेट में कौन-कौन मंत्री बनेगें और विभागों का बंटवारा कैसे होगा।
- कुछ विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन के अंदर जद्दोजहद (争斗) उतनी तीव्र भी हो सकती है — क्योंकि हिस्सेदारी को लेकर हर दल की उम्मीदें बहुत बड़ी हैं।
- नए मंत्रिमंडल के पहले कदमों पर जनता की निगाहें होंगी — खासकर यह कि NDA कैसे विकास, रोजगार, और बिहार के मुख्य मुद्दों को आगे बढ़ाता है।
- इसके साथ ही, विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया और उनकी रणनीति भी अहम होगी, जो आने वाले समय में राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
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| Image Source - The Times Of India |
निष्कर्ष
बिहार में एनडीए की बड़ी जीत के तुरंत बाद सरकार गठन की प्रक्रिया तेज़ी से शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर गठबंधन के नेता एक-एक करके मिल रहे हैं, इस्तीफे की तैयारियाँ हो रही हैं, और अगले कुछ दिन निर्णायक होंगे।
यह राजनीतिक समय सिर्फ एक सत्ता हस्तांतरण का नहीं है, बल्कि एनडीए की मजबूत स्थिति, नीतीश कुमार के नेतृत्व और बेहतर संगठनात्मक समन्वय का संदेश भी देता है। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो बिहार में एक स्थिर और प्रभावशाली नई सरकार जल्द ही शपथ ले सकती है — जो आगामी वर्षों के लिए राज्य की दिशा तय कर सकती है।


