उज्जैन— नगर में आज सुबह से ही वातावरण भारी और भावुक रहा, क्योंकि यह समाचार आग की तरह फैल गया कि सुप्रसिद्ध तपस्वी, साधक और समाजसेवी श्री योगी बाबा बमबम नाथ जी महाराज का उपचार के दौरान देवलोकगमन हो गया। बाबा जी उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान क्षेत्र में वर्षों से तपस्या और साधना में लीन रहे थे, और स्थानीय लोगों ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक आध्यात्मिक आधार थे।
आखिरी क्षणों में बाबा का स्वास्थ्य हुआ गंभीर
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते कुछ दिनों से योगी बाबा बमबम नाथ जी महाराज की तबीयत नाज़ुक चल रही थी। प्रारंभिक उपचार आश्रम में ही किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें चिकित्सकीय निगरानी में ले जाया गया। डॉक्टरों ने भरसक प्रयास किए, लेकिन आज उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके निधन की खबर मिलते ही भक्तों, स्थानीय निवासियों और साधु–संतों में शोक की लहर दौड़ गई। सुबह से ही सोशल मीडिया, स्थानीय संगठनों और धार्मिक समुदायों में श्रद्धांजलियों का सैलाब उमड़ पड़ा है।
चक्रतीर्थ श्मशान क्षेत्र में उमड़ा जनसागर
जैसे ही बाबा जी के देवलोकगमन की खबर फैली, उज्जैन के चक्रतीर्थ क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होने लगे। लोग उनकी साधना, सेवा और सरल स्वभाव का स्मरण करते हुए भावुक हो उठे।
बाबा जी की अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों ने पहुंचकर नम आँखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बाबा जी अक्सर कहा करते थे—
“जीवन सेवा में लगाओ, बाकी सब शिव की इच्छा पर छोड़ दो।”
उनकी वही सीख आज लोगों के दिलों में एक अमिट स्मृति की तरह बस गई है।
बाबा जी का आध्यात्मिक सफ़र और सेवा भावना
योगी बाबा बमबम नाथ जी महाराज का उज्जैन से विशेष लगाव रहा और वे वर्षों से यहाँ चक्रतीर्थ क्षेत्र में तप करते आए।
उन्होंने जीवनभर किसी प्रकार के दिखावे या प्रचार से दूरी बनाए रखी। सादगी उनकी पहचान थी।
उनके बारे में कहा जाता है कि
- वे जरूरतमंदों की मदद चुपचाप करते थे,
- किसी भी मुश्किल में फंसे व्यक्ति के लिए आश्रय-दाता बनते थे,
- और हमेशा अपने भक्तों को संयम, सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे।
उनकी तपस्या, चर्या और आध्यात्मिक सिद्धि के किस्से उज्जैन के लोगों में लंबे समय से चर्चा का विषय रहे।
आस-पास के गांवों और नगरों के लोग किसी भी संकट में उनके पास आकर मन की बात कहते थे और मन की शांति लेकर लौटते थे।
अंतिम यात्रा की तैयारियां — प्रशासन भी सक्रिय
बाबा जी के आकस्मिक देहावसान के बाद प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की विशेष व्यवस्था की है।
भीड़ बढ़ने की संभावना को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है।
अंतिम यात्रा चक्रतीर्थ क्षेत्र से शुरू होकर परंपरागत धार्मिक विधियों के साथ सम्पन्न होने की संभावना है।
आश्रम के प्रमुख सदस्यों ने बताया कि बाबा जी की इच्छा शांत, सरल और बिना किसी दिखावे वाली अंतिम यात्रा की थी। इसी इच्छा का पालन किया जाएगा।
भक्तों की आँखें नम, पर उनकी सीख अमर
बाबा जी की अंतिम तस्वीर देखकर श्रद्धालु भावुक हो उठे।
कई भक्तों ने कहा कि वे भले ही देह रूप में विदा हो गए हों,
लेकिन उनके द्वारा दिया गया ज्ञान, आशीर्वाद और उनकी दिव्य उपस्थिति हमेशा महसूस होती रहेगी।
स्थानीय श्रद्धालु राघव चौधरी ने कहा—
“बाबा जी ने हमें सिखाया कि आध्यात्मिकता सिर्फ मंत्र–जप में नहीं, बल्कि मन और कर्म की शुद्धता में होती है।”
इसी तरह कई भक्तों ने बाबा जी की अंतिम छवि को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी।
उज्जैन की आध्यात्मिक धरा पर एक युग का अंत
उज्जैन, जो भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का केन्द्र माना जाता है, ने आज एक तपस्वी को खो दिया।
बाबा बमबम नाथ जी महाराज का जाना शहर के लिए एक ऐसा खालीपन छोड़ गया है जिसे भर पाना आसान नहीं है।
उनके वर्षों के तप, मौन साधना और निस्वार्थ सेवा ने उज्जैन की आध्यात्मिक विरासत को समृद्ध किया।
आज उनका शरीर भले ही पंचतत्व में विलीन हो गया हो,
लेकिन उनकी ऊर्जा, उनके उपदेश और उनका तप — हमेशा इस धरा की शक्ति का हिस्सा रहेंगे।
श्रद्धांजलि संदेशों की बौछार
दिनभर देशभर से संत–महात्माओं, धार्मिक संगठनों और साधु समुदायों की ओर से शोक संदेश आते रहे।
सबका कहना था कि योगी बाबा जैसे तपस्वी विरले ही जन्म लेते हैं।
उनके अनुयायियों ने बताया कि अब आश्रम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर आगे चलता रहेगा और उनकी आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित किया जाएगा।
आश्रम समिति आने वाले दिनों में एक विशेष ‘स्मृति सभा’ भी आयोजित करेगी।
निष्कर्ष
उज्जैन आज एक महान साधक की विदाई का साक्षी बन गया।
बाबा जी की अंतिम तस्वीर अब लाखों लोगों के दिलों में एक भावुक स्मरण के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।
उनका जीवन, तप और शिक्षा आने वाली पीढ़ियों को आध्यात्मिक प्रेरणा देते रहेंगे।


