नई दिल्ली — 3 दिसंबर 2025: भारतीय संसदीय इतिहास के प्रमुख सत्रों में से एक, संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session 2025) अपने तीसरे दिन पर पहुँचा। पिछले दिनों की हंगामे भरी कार्यवाही के बाद, आज का दिन अपेक्षाकृत शांत और व्यवस्थित रहा। संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — में एक ही दिन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा, विधेयक पेश करना, श्रम-कानूनों के खिलाफ विपक्ष का विरोध, तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया की दिशा-निर्देश तय हुए।
इस दिन संसदीय कार्यव्यवस्था ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया, क्योंकि पिछले दो दिनों तक Special Intensive Revision (SIR) को लेकर विरोधियों द्वारा निरंतर हंगामा किया गया था, जिसके कारण कामकाज में भारी व्यवधान आया। आज का दिन एक तरह से “नए सत्र के मानक” की पुष्टि जैसा रहा, जिसमें सवाल-जवाब (Question Hour) बिना किसी व्यवधान के संपन्न हुआ, तथा वाद-विवाद, विधेयक पेश करने और विरोध प्रदर्शन — तीनों ही लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं ने अपनी अपनी भूमिका निभाई।
शांत शुरुआत: प्रश्न-काल का सफल संचालन
लोकसभा ने बुधवार को अपनी कार्यवाही का तीसरा दिन बिना किसी व्यवधान के शुरू किया। यह संसद के शीतकालीन सत्र में पहला “disruption-free Question Hour” था, जो पिछले दो दिनों में विपक्षी दलों द्वारा आयोजित SIR मुद्दे को लेकर हो रहे विरोध के बीच एक अपवाद जैसा प्रतीत हुआ। सदन ने बिना नारेबाज़ी, बिना walkout के सामान्य रूप से सवालों को सुनाया। सदन के स्पीकर, ओम बिड़ला (Om Birla), ने इसे लोकतंत्र में एक सकारात्मक संकेत बताया।
आखिरकार मंगलवार देर रात एक बैठक हुई, जिसका नेतृत्व स्पीकर ने किया था, जिसमें विपक्ष और सरकार के floor leaders के बीच एक तिथि तय की गयी कि 8 दिसंबर को “वंदे मातरम्” के 150-साल शुभ अवसर पर विशेष चर्चा होगी, उसके बाद 9 दिसंबर को SIR और चुनाव सुधारों पर समग्र बहस होगी। इस समझौते के कारण आज का Question Hour शांतिपूर्ण रूप से सम्पन्न हुआ।
लोकसभा की कार्यवाही: विधेयक पेश और पारित
आज के सत्र की सबसे मुख्य उपलब्धि थी — Central Excise (Amendment) Bill, 2025 को लोकसभा में पेश करना और पारित करना। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस बिल को पेश किया, जिसका उद्देश्य GST मुआवज़ा सेस (Compensation Cess) खत्म होने के बाद तम्बाकू तथा उससे सम्बंधित उत्पादों पर नियंत्रक और उचित एक्साइज ड्यूटी लागू करना है। इस बिल से सरकार को यह “fiscal space” मिलेगा कि वह वर्तनशील तौर पर कर (excise) दरों को निर्धारित कर सके, ताकि तम्बाकू उत्पादों की कीमतें सस्ती न रहें।
वित्त मंत्री ने संसद में कहा कि इस कर के माध्यम से सरकार चाहता है कि तम्बाकू उत्पाद “सस्ते” न हों, क्योंकि देश में लगभग 1.35 मिलियन लोग प्रतिवर्ष तम्बाकू-जनित रोगों की वजह से मरते हैं। बिल के सफल प्रस्ताव और पारित होने के उपरांत, यह 1944 का Central Excise Act संशोधित करेगा और नए tax-रूप में लागू होगा।
लोकसभा ने इस बिल को पारित कर दिया। बिल के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) तथा वित्त मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि राजस्व का हिस्सा राज्यों के बीच विभाजित किया जायेगा तथा राज्य सरकारों को भी इसका लाभ मिलेगा।
विपक्ष का प्रदर्शन: श्रम कोड और SIR विवाद
हालाँकि संसद ने दिन की शुरुआत शांतिपूर्ण रूप से की, लेकिन विरोध प्रदर्शन संसद परिसर के बाहर जारी रहा। विपक्ष के नेता, जिनमें प्रमुख रूप से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) शामिल थे, ने ‘‘नए श्रम कोड’’ (New Labour Codes) के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि इन श्रम-संहिताओं (Labour Codes) को पारदर्शी, निष्पक्ष, और श्रमिक-हितैषी बनाया जाये। विपक्ष के मुताबिक, यह कोड “anti-labour and pro-crony” है और इससे नौकरी-सीकाड़ी (job security) तथा मजदूरों के अधिकारों को खतरा हो सकता है।
संसद परिसर के सामने आयोजित प्रदर्शन में opposition नेताओं ने नारे लगाए: “Labour wants justice, unions want justice” जैसे तमगे। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार कार्य क्षेत्र में श्रमिक-हितों को दरकिनार करते हुए पूंजी-हितों को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने मांग की कि श्रम कोड को फिर से विचार किया जाये और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये।
विपक्षी नेताओं की बैठक भी सत्र के दौरान हुई जिसमें कांग्रेस, DMK, RJD, SP, JMM, CPI(M), CPI, IUML, NCP-SP और SS-UBटी जैसे दलों ने संयुक्त रणनीति तय की। Trinamool Congress (TMC) ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। बैठक में SIR और चुनाव सुधारों पर आगामी बहस के अलावा संसद के कामकाज में एकता बनाए रखने पर भी चर्चा हुई।
अन्य प्रमुख कार्रवाई और मुद्दे
1. पूर्व सांसद के सम्मान (Obituary Reference): लोकसभा ने पूर्व कांग्रेस सांसद रमेश्वर डूडी (Rameshwar Dudi) को श्रद्धांजलि दी। डूडी का निधन 3 अक्टूबर को हुआ था और वे 1999-2004 के बीच लोकसभा सदस्य रहे। इस सम्मान सभा में सांसदों ने उनके कार्यकाल और योगदान की सराहना की।
2. Punjab के किसानों के मुद्दे: लोकसभा के Zero Hour में पंजाब के सांसदों ने किसानों की कठिनाइयों का मुद्दा उठाया, जिन्होंने अगस्त-सितंबर की भारी बारिश के कारण व्यापक फसल नुकसान का सामना किया। पंजाब के कई गांवों में हजारों हेक्टेयर भूमि बाढ़ के कारण नष्ट होने की बात कही गयी। उनके अनुसार केंद्र को इस राज्य के किसानों के लिए विशेष पैकेज घोषित करना चाहिए।
3. राज्यानुसार आरोप और चर्चाएँ: राज्यसभा में मनिपुर में जारी राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) के तहत Water (Prevention and Control of Pollution) Amendment Act, 2024 को अपनाने की statutory resolution पर बहस हुई। विपक्ष ने मनिपुर में विधानसभा चुनाव आयोजित करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने की मांग की।
4. Sanchar Saathi App और गोपनीयता मुद्दा: कांग्रेस सांसद रंधीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने ‘Sanchar Saathi’ ऐप पर चिंता जताई, यह कहते हुए कि यह ऐप व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकार को पूरी तरह से नकारता है। उनके अनुसार, ऐप डेटा-सुरक्षा और निजता पर खतरा पैदा करता है।
5. मानव संसाधन और भर्ती: संसद के भीतर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सूचना दी कि CRPF, BSF, ITBP और SSB में महिलाओं की भर्ती में वृद्धि जारी है, और वर्ष 2025-26 के लिए भर्ती लक्ष्यों को बढ़ाया जा रहा है।
राजनीतिक और लोकतांत्रिक संदर्भ
तीसरे दिन का सत्र यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि संसद “विधायी कार्य” और “लोकतांत्रिक बहस” दोनों को संतुलित करें। पिछले दो दिनों में SIR समस्या के चलते बहस और हंगामा मुख्य केंद्र रहे, लेकिन अब एक समझौते के बाद कार्यवाहियों में प्रगति दिखाई दी। विदर्भ नेताओं की बैठक, Floor-leader की योजना और स्पीकर की मध्यस्थता ने संसद को कुछ हद तक शांतिपूर्ण मोड में लाया।
इस सबके बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तीन पहलु साथ-साथ चलते दिखे:
- कार्यवाही (Procedural Work) जैसे कि प्रश्न-काल, विधेयक पारित करना और सरकारी योजनाओं पर जानकारी देना,
- विपक्ष के प्रदर्शन और विरोध, जो लोकतंत्र में सहयोगात्मक विरोध का हिस्सा हैं, तथा
- योजनाएँ और समझौते जो यह सुनिश्चित करें कि संसद का काम बिना रोके चले।
संसदीय रणनीति और भावी कार्य
नेताओं ने आने वाले सत्रों के लिए रणनीति बनाई है। SIR, चुनाव सुधार, “वंदे मातरम्” के 150वें वर्ष पर बहस, श्रम-संहिताओं पर निर्णय, कृषि सहायता पैकेज और गोपनीयता-से जुड़े मुद्दों पर बहस आगे आने वाले दिनों की योजना में हैं। नेता चाहते हैं कि संसद शांतिपूर्ण बने, लेकिन स्वतंत्रता-वादी, न्याय-मुखी व विवाद-सहित बहस भी जारी रहे।
निष्कर्ष
संसद के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन भारतीय लोकतंत्र की जटिलता, विविधता और स्थिरता का प्रदर्शन है। एक ओर सरकार ने एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने श्रमिक-हितों, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक बहस की रक्षा के लिए प्रदर्शन जारी रखा।
आज का दिन यह सिद्ध करता है कि लोकतंत्र में “कार्यवाही” और “विरोध” दोनों के लिए एक ही मंच मौजूद है। प्रश्न-काल से लेकर विधेयक-पारित-करने तक, प्रदर्शन से लेकर Floor-level समझौते तक — संसद का तीसरा दिन भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफल परख के रूप में याद रखा जायेगा।
जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ता है, प्रश्न उठते रहेंगे — श्रमिकों के अधिकार, चुनाव सुधार, गोपनीयता, श्रम-संहिताएँ तथा सामाजिक और आर्थिक सुधार — लेकिन आज का दिन यह साबित करता है कि अदालती नहीं, बल्कि संसद ही वह जगह है जहाँ भारत अपने मतभेदों को संवाद, बहस और कानून के स्वरूप में हल करता है।


