नई दिल्ली — दिसम्बर 2025 के शुरुआत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भारत के दौरे पर पहुँचे, यह उनकी चार साल में पहली यात्रा है। इस दौरे का उद्देश्य सिर्फ औपचारिक मुलाक़ात नहीं है, बल्कि भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाना, व्यापार विस्तार करना, सुरक्षा सहयोग बढ़ाना और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना है। इस दौरे को दोनों देशों के लिए विशेष महत्व का माना जा रहा है, क्योंकि यह वर्ष 2025 में रूस-भारत के 25 वर्षों के रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक भी है।
दौरे की शुरुआत: निजी डिनर और स्वागत
पुतिन 4 दिसंबर 2025 की शाम को नई दिल्ली पहुँचे। इस यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित निजी डिनर से हुई। यह डिनर सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत संबंध को मजबूत करने का प्रयास भी माना जा रहा है। ऐसे डिनर पहले भी मोदी-पुतिन कूटनीति का हिस्सा रहे हैं, जब जुलाई 2024 में पुतिन ने उसी तरह के अवसर पर पीएम मोदी को मॉस्को में डिनर पर आमंत्रित किया था।
पुतिन की सुरक्षा के लिए भारतीय प्रशासन ने बेहद सख़्त इंतज़ाम किए हैं। लगभग 130 सदस्यीय रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ पुतिन आ रहे हैं, जिनके लिए सुरक्षा के पांच-स्तरीय कवच, कमांडोज, ड्रोन, जैमर और उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
दूसरे दिन की शुरुआत: राजघाट और औपचारिक स्वागत
दूसरे दिन, यानी 5 दिसंबर 2025 को, पुतिन की दिन-भर की गतिविधियाँ एक उत्सव और औपचारिक कार्यक्रम के रूप में शुरू हुईं। सबसे पहले उन्होंने राजघाट का दौरा किया, जहाँ उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह भारत द्वारा आपातकालीन गर्मजोशी और सम्मान के साथ आयोजित किया गया पारंपरिक कार्यक्रम है, जो भारत-दुनिया में भारत की नीतियों और गांधीवादी विचारों की महत्ता को दिखाता है।
इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक स्वागत समारोह प्राप्त हुआ, जिसमें भारत द्वारा सम्मान देने के सभी परंपरागत नियमों और आदरों का पालन किया गया। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुतिन का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
23वां द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन और अहम बैठकें
राजघाट और स्वागत समारोह के बाद, पुतिन और मोदी ने हैदराबाद हाउस में 23वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन शुरू किया। इस सम्मेलन में दो प्रमुख लक्ष्यों पर बातचीत हुई:
- आर्थिक सहयोग और व्यापार विस्तार: दोनों नेता ने 2030 तक रूस-भारत के आर्थिक सहयोग को बढ़ाने वाली परियोजनाओं पर सहमति जताई। रूस के aide के अनुसार, कई समझौतों पर दस्तख़त होने की योजना है — जिसमें व्यापार, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रक्षा-सहयोग शामिल होंगे।
- रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक सुरक्षा: दोनों नेताओं ने रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर विचार किया, खासकर वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव, मध्य एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थितियों, और रूस-यूक्रेन विवाद के समाधान पर। भारत ने वार्ता-और-दिप्लोमेसी पर जोर देना जारी रखा।
व्यापार, ऊर्जा और तकनीक से जुड़े समझौते
रूस-भारत द्विपक्षीय सम्मेलन का मुख्य फोकस इस बार ट्रेड, आर्थिक संबंध, ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक सहयोग और रक्षा सहयोग रहा।
- 2024 में दोनों देशों का वार्षिक व्यापार लगभग 63.6 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12% की वृद्धि थी।
- ऊर्जा-क्षेत्र में रूस ने भारत को तेल, गैस और उर्जा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
- रक्षा-क्षेत्र में दोनों देशों ने मिलकर नई परियोजनाएँ और संयुक्त कार्य पर विचार किया। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, ब्रह्मोस मिसाइल के एडवांस संस्करण पर भी समझौते की संभावना है।
- भारत और रूस ने नई तकनीक, अंतरिक्ष-अनुसंधान, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक साझा रोडमैप तय करने का निर्णय किया।
विशिष्ट कार्यक्रम और जनसेवाएँ
इस दौरे का कार्यक्रम बहुत व्यस्त था। एक सामान्य दिन में पुतिन ने कई प्रमुख कार्यक्रमों में हिस्सा लिया:
- पीएम मोदी द्वारा आयोजित प्राइवेट डिनर, जहां दोनों नेताओं ने खुलकर विचार साझा किए।
- राजघाट पर श्रद्धांजलि, जो एक सम्मान-प्रद कार्यक्रम है और भारत-रूस की दोस्ती को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है।
- हैदराबाद हाउस में व्यापक शिखर बैठकें, जिनमें व्यापार, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई।
- पीएम मोदी और पुतिन द्वारा India-Russia Business Forum को संबोधित करना, जहां दोनों देशों के उद्योग-नेताओं और व्यवसायियों ने भाग लिया। इस मंच पर निजी क्षेत्र के सहयोग और निवेश के अवसरों पर जोर दिया गया।
- पुतिन द्वारा भारत में RT (Russia Today) चैनल के भारत वर्ज़न के लॉन्च में हिस्सा लेना, जो रूस की मीडिया-सामरिक विस्तार की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पुतिन के सम्मान में राज्य भोज (State Banquet) का आयोजन।
वैश्विक राजनीति और भारत-रूस संबंधों का महत्व
पुतिन का 2025 का भारत दौरा एक ऐसे समय में हुआ, जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारी उतार-चढ़ाव चल रहा है:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पुतिन पर वैश्विक दबाव बढ़ा है, लेकिन भारत ने सीधे किसी पक्ष को दोष नहीं दिया। भारत ने समाधान के लिए वार्ता और कूटनीति पर ज़ोर दिया है।
- भारत-रूस के पारंपरिक संबंध, जो शीत युद्ध के समय से चले आ रहे हैं, आज भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत रूस को एक प्रमुख रक्षा-साझेदार मानता है।
- साथ ही, भारत अन्य वैश्विक शक्ति संघों जैसे अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को भी संतुलित कर रहा है। इस दौरे से यह संदेश गया कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन करता है और किसी एक देश पर पूरी तरह आश्रित नहीं है।
यात्रा के संभावित परिणाम और अर्थ
इस दौरे से कई अहम आर्थिक, रणनीतिक और राजनैतिक परिणाम सामने आ सकते हैं:
- 2030 तक दोनों देशों के बीच एक रणनीतिक आर्थिक साझेदारी रोडमैप तैयार किया गया है, जिससे दीर्घकालिक व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- पुतिन-मोदी बैठक ने नीति-निर्माताओं और व्यापारिक समुदाय को संकेत दिया कि दोनों देश मिलकर वैश्विक बाजार, रक्षा-आधारित परियोजनाएँ, उर्जा स्रोत, कृषि और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं।
- यह दौरा रूस-भारत के गहरे सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों को दर्शाता है, जो भविष्य में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति-संतुलन पर प्रभाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
पुतिन का 2025 में भारत दौरा केवल दो देश के नेताओं की साझा बैठक नहीं था, बल्कि यह भारत-रूस के दीर्घकालिक और पारंपरिक संबंधों को नया रूप देने का प्रयास भी था। इसमें दोस्ती, राजनीति, रणनीति, व्यापार और वैश्विक कूटनीति सभी का समावेश था।
मोदी-पुतिन बैठक, राजघाट दर्शन, निजी डिनर, समझौतों पर बातचीत, रक्षा-सहयोग और ऊर्जा-व्यापार पर विचार — यह सब मिलकर दर्शाता है कि भारत और रूस ने एक ऐसे मार्ग की योजना बनाई है, जो भविष्य के दशक तक दोनों देशों के रिश्ते को सुदृढ़ रख सके।
इस दौरे ने यह संदेश दिया कि भले ही वैश्विक दबाव और विभाजन बढ़ रहा हो, भारत अपनी स्वतंत्र कूटनीति को बनाए रखते हुए अपने पारंपरिक सहयोगियों के साथ संतुलन और सशक्त गठजोड़ का समर्थन करता रहेगा।


