पानीपत, हरियाणा — दिसंबर 2025 में हरियाणा पुलिस ने एक बेहद भयावह और सनसनीखेज मामले का खुलासा किया, जिसमें एक महिला ने पिछले दो वर्षों में अपने परिवार के चार बच्चों की हत्या की थी, जिनमें उसका अपना बेटा भी शामिल था। यह पूरा मामला अनोखे और भयावह कारण — बच्चों की “अत्यधिक सुंदरता” — से प्रेरित था। इस हत्या-श्रृंखला ने न केवल स्थानीय समुदाय को हिला दिया, बल्कि पूरे राज्य में यह मामले की भयावहता और मानसिक स्वास्थ्य का गंभीर विषय बन गया है।
यह मामला सबसे पहले 1 दिसंबर, 2025 को तब सामने आया जब पानीपत जिले के नौल्था गाँव में एक शादी समारोह के समय एक छह-साल की बच्ची की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। बच्ची का नाम विदि (Vidhi) था, जो मृतक की चाची, पूर्णम (Poonam), की भतीजी थी। पुलिस जांच से पता चला कि विदि को पानी भरे टब/टंकी में डुबोकर मार दिया गया था और घटना को पहले “सामान्य दुर्घटना” के रूप में पेश किया गया था।
जांच की शुरुआत: एक पूर्व निरीक्षक के संदेह से खुलासा
जांच के अनुसार, इस मामले का पहला बड़ा मोड़ तब आया जब मृतक बच्ची की दादी, पैल सिंह (Pal Singh) — जो एक पूर्व सब-इंस्पेक्टर हैं — ने बताया कि बच्ची का कमरा बाहरी दरवाज़े से बंद (बोल्ट) था। उन्होंने तुरंत संदेह जताया कि यह कोई “सामान्य दुर्घटना” नहीं है। इसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी और मृत्युपरांत साक्ष्यों का निरीक्षण किया गया। शव आधा-डूबा मिला, जिससे पुलिस को यह लगा कि बच्ची को जानबूझकर पानी में डुबाया गया था।
पुलिस ने बच्ची की मौत के बारे में पहली रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन आगे पूछताछ में जब पूर्णम से संदिग्ध कारणों पर सवाल पूछे गए, तो उन्होंने आत्मघाती रूप से अपने अन्य कृत्यों को स्वीकार कर लिया। यह जांच तब गंभीर रूप ले गयी जब उससे यह पता चला कि यह अकेली हत्या नहीं थी, बल्कि उसके द्वारा पिछले दो सालों में कुल चार बच्चों की हत्या की गयी थी — जिनमें उसका अपना 3-साल का बेटा भी शामिल था।
आरोपी: पूर्णम का जीवन और मानसिक स्थिति
निर्दोष दिखने वाली इस महिला, पूर्णम, सोनिपत जिले के भवाद गाँव (भवार गाँव) की रहने वाली है। वह लगभग 32-33 वर्ष उम्र की है और शादीशुदा है। उसका पति नवीन (Naveen) है और विवाह के बाद वह सोनिपत के इसी गाँव में रहने लगी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पूर्णम के पास कुछ व्यक्तिगत मानसिक तनाव और अवसाद से जुड़ी समस्याएँ थीं, जिससे उसकी सोच में विकृति विकसित हो गयी थी। यह विकृत सोच उसकी बच्चों की सुंदरता के प्रति असामान्य ईर्ष्या में बदल गयी थी और इसी वजह से उसने निर्दोष बच्चों को चुनकर उनकी हत्या की।
पुलिस के अनुसार, पूर्णम का मानना था कि उसके “अपने बच्चे या परिवार के बच्चों” से सुंदर कोई भी बच्चा नहीं होना चाहिए। उस के भीतर यह अटूट विश्वास बन गया कि अगर किसी बच्चे की सुंदरता उसके बच्चे से अधिक होगी, तो यह उसके आत्म-सम्मान और परिवार में उसके स्थान को कमज़ोर कर देगा। इस मानसिक भ्रम ने धीरे-धीरे एक मनोवैज्ञानिक विकार का रूप ले लिया, जो अंततः चार हत्याओं में बदल गया।
हत्या की विधियाँ: “प्राकृतिक” मृत्यु का बहाना
पूछताछ में पूर्णम ने स्वीकार किया कि उसने जिन चार बच्चों को मारा, उन्हें उसने ऐसे तरीक़े से मारने की कोशिश की कि लोग सोचें कि मौत “एक साधारण दुर्घटना” थी। पुलिस के अनुसार सभी बच्चों को पानी टब, टंकी या भरे हुए गंगा पात्र में डुबोकर मार दिया गया, जिससे यह हत्या या संदिग्ध कृत्य नहीं माना गया। हादसे को एक सामान्य “डूबने वाली दुर्घटना” के रूप में पेश किया गया, जिससे जांच में विलंब हुआ।
पहली हत्या (2023, भवार गाँव)
सबसे पहले उसने अपनी पहली हत्या 2023 में की थी, जब उसने अपने रिश्तेदार (भाई-भतीजी) की बेटी को पानी में डुबोकर मार डाला। इसी दौरान उसका अपना बेटा भी वहाँ मौजूद था। उसने देखा कि पूरा कृत्य उसके बेटे ने देखा है। ताकि कोई शक न उठे, उस बच्ची को मरते ही उसने अपने तीन-साल के बेटे को भी उसी टंकी में डुबोकर मार दिया। परिवार के सदस्य, जिन्होंने बाद में देखा, समझ बैठे कि दोनों बच्चे खेलते-खेलते डूब गए। इस प्रकार की हत्या के कारण किसी ने भी पहले शक नहीं किया, क्योंकि सबने इसे एक दुर्घटना ही माना।
दूसरी हत्या (2023-2024, सिवाह/सीवाह गाँव)
पुलिस के अनुसार, अगली हत्या इसी तरीके से अगस्त 2025 में सिवाह गाँव (जहाँ पूर्णम मूल रूप से रहती थी) में हुई। एक छोटी बच्ची, जो उसके परिवार से संबंध रखती थी, को पानी की टब/भरे टंकी में डुबोकर डरा दिया गया। इसके बाद भी आसपास के लोगों को हत्या का संदेह नहीं हुआ।
तीसरी हत्या (2025, नौल्था गाँव)
हाल ही में दिसंबर 2025 की शुरुआत में नौल्था गाँव में आयोजित शादी समारोह के दौरान, पूर्णम की भतीजी विदि (Vidhi, 6) अचानक गायब हो गयी। शादी में मौजूद परिवार ने पहले सोचा कि वह शादी समारोह के दौरान भाग गयी होगी या किसी रिश्तेदार के साथ चली गयी होगी। लेकिन खोज-बीन के बाद उसका आधा-डूबा शव टब में पाया गया और इसी घटना ने पुलिस को इस मामले को गंभीरता से लेने हेतु प्रेरित किया। इसकी शुरुआत के बाद, पुलिस ने देखा कि मृत्यु-घटनाएँ एक समान तरीके से हो रही हैं, और अब सबूतों ने हत्या का रहस्य साबित कर दिया।
जांच और गिरफ्तारी: सच्चाई का पर्दाफ़ाश
पुलिस अधीक्षक, भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इस मामले की जांच तब शुरू हुई जब विदि के शव को एक शादी समारोह के कमरे में पाया गया, जो बाहर से बोल्ट किया गया था। शव की स्थिति ने संदेह जगाया कि मौत केवल “पानी में खेलने वाली दुर्घटना” नहीं थी, बल्कि जानबूझकर हत्या थी।
पल सिंह (दादी) द्वारा दर्ज शिकायत के बाद पुलिस ने पूरी कहानी को ध्यान से जांचा। पूछताछ तथा पूछताछ के बाद, पूर्णम ने खुद को जिम्मेदार बताया, और पुलिस ने अन्य मौतों की भी पुनरावृत्ति जाँच की। अंततः वह गिरफ्तार कर ली गयी और ज़मानत के बजाय न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दी गयी।
मानसिक स्वास्थ्य और संभावित कारण
पुलिस ने कहा है कि पूर्णम आम तौर पर “कुछ मानसिक समस्या” से पीड़ित प्रतीत होती है और उसने अपने विचारों को यथार्थ से अलग समझा। विशेषज्ञों का मानना है कि वह अपने परिवार के भीतर “मूल्यांकन और सुंदरता” को लेकर बहुत अधिक चिंतित थी, जिसकी वजह से उसने गहराई में अपने अंदर गुस्सा, ईर्ष्या और घटती आत्म-गौरव को विकसित किया। कभी-कभी ऐसे मामलों में डिससोशिएटिव ब्रह्म संबंधी भ्रम या personalidad disorder जैसी मानसिक विकृतियाँ सामने आती हैं, लेकिन इस मामले में अभी तक किसी औपचारिक मानसिक परीक्षण या चिकित्सीय मूल्यांकन की पुष्टि नहीं हुई है।
सामाजिक असर: सामुदायिक सदमे और चिंता
इस तरह की हत्या-श्रृंखला ने उत्तरी भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। आम तौर पर बच्चे-बच्चे के आस-पास माता-पिता की सुरक्षा, परिवार की विश्वसनीयता तथा ग्रामीण समुदाय का भरोसा होता है, परंतु इस मामले ने यह भरोसा झकझोर दिया है।
लोगों ने कहा कि ऐसी स्थितियाँ “एक अकेले घटना” नहीं हैं, बल्कि यह हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, परिवार व्यवस्था, बच्चों के प्रति सुरक्षा, तथा माता-पिता और रिश्तेदारों के मनोवैज्ञानिक समर्थन की कमी की ओर संकेत करती हैं। बच्चे, जो परिवार की सबसे कमजोर कड़ी होते हैं, उनमें विश्वास और सुरक्षा की भावना होती है, लेकिन इस तरह की हत्या यह दर्शाती है कि घर के भीतर भी भय उत्पन्न हो सकता है।
इस घटना ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आने वाले समय में मनोवैज्ञानिक आकलन, सामुदायिक समर्थन, परिवार परामर्श और स्थानीय पुलिस-प्रशासन के समर्थन से लोग अपने तनाव तथा ईर्ष्या जैसे भावों का हल निकाल सकते हैं, जिससे भविष्य में ऐसे जघन्य अपराधों को रोका जा सके।
न्यायिक प्रक्रिया और आगे की जांच
पूर्णम को गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस ने पिछले तीन हत्याओं के बारे में विस्तृत रिपोर्ट बनाने की योजना बनाई है। तीनों घटनाओं को “गैर-प्राकृतिक मृत्यु” के रूप में पुनः समीक्षा किया जा रहा है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य एकत्र-किया जा रहा है।
सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मामले की जांच अब यह समझने में केंद्रित है कि क्या पूरी हत्या-श्रृंखला में कोई अन्य सहयोगी या साजिश-कारक भी हो सकता है या यह अकेले पूर्णम का अकेला अपराध है। साथ ही, पुलिस यह भी पता लगा रही है कि क्या पूर्णम के पास कोई चिकित्सीय इतिहास था या किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से उसके पहले से संपर्क थे।
निष्कर्ष
यह अत्यंत दुखद है कि एक माँ, जो अपने बच्चे की सुरक्षा और सुख-शांति की प्रतिज्ञा करती है, वही अपने अत्यधिक ईर्ष्या-पूर्ण विचारों के कारण बच्चे को मौत की नींद सुला देती है। पूर्णम द्वारा की गयी यह हत्या-श्रृंखला न केवल अपराध है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य, परिवार संरचना, विश्वास और सामाजिक संरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाती है।
यह मामले का सबसे बड़ा सबक यह है कि ईर्ष्या, भावनात्मक अस्थिरता और अवसाद जैसी भावनाएँ यदि बिना किसी इलाज के लंबे समय तक बनी रहें, तो वे किसी व्यक्ति को अत्यंत नकारात्मक निर्णय, हिंसा और भयावह कृत्यों पर उकसा सकती हैं। समाज, प्रशासन और परिवारों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लिया जाये, बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता बने, और ऐसे भयावह अपराधों के खिलाफ सतर्क और समर्थ परिवेश तैयार किया जाये।


