2025 के नवंबर में आए चक्रवात Ditwah ने दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में तबाही मचाई। विशेष रूप से Sri Lanka में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने व्यापक जन-हानि की। इसके चलते कई भारतीय नागरिक – पर्यटक, कामगार, प्रवासी – फंसे हुए थे। अब, भारत ने एक बड़े और संगठित अभियान के माध्यम से उन फंसे नागरिकों को सुरक्षित वतन बुला लिया है, तथा राहत व पुनरुद्धार प्रक्रिया तेज कर दी है।
किसने, कैसे निकाला फंसे भारतीयों को — Operation Sagar Bandhu
- सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को, भारत ने Sri Lanka में फंसे हुए अपने अंतिम बैच — 104 भारतीय नागरिकों — को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। ये लोग पहले Bandaranaike International Airport, Colombo में फंसे थे।
- इन 104 नागरिकों को वायुसेना (Indian Air Force, IAF) के विमान द्वारा Colombo → Thiruvananthapuram (केरल) के मार्ग से लाया गया। विमान रवाना हुआ और लगभग सुबह 6.30 बजे ये नागरिक भारत में सुरक्षित पहुँचे।
- इस तरह, Operation Sagar Bandhu के तहत — राहत, बचाव और वतन वापसी — का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ। भारतीय हाई कमीशन, रक्षा मंत्रालय, वायुसेना और संबंधित एजेंसियों ने मिलकर यह मिशन संचालित किया।
इस उद्देश्य के साथ कि फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित लौटाया जाए, भारत ने तत्काल कारवाई की, जो इस बात का संकेत है कि भारत आपदा व मानवीय संकट की घड़ी में अपने नागरिकों और पड़ोसी देशों के प्रति जवाबदेह है।
राहत व बचाव कार्य — सिर्फ वतन-वापसी नहीं, व्यापक मदद अभियान
भारत की मदद केवल नागरिकों को घर लौटाने तक सीमित नहीं रही। पूरे राहत-कार्य और पुनरुद्धार अभियान को व्यापक स्तर पर संचालित किया गया।
- IAF, IAF के हेलिकॉप्टर, National Disaster Response Force (NDRF), नौसेना और अन्य एजेंसियाँ राहत सामग्री, भोजन, तंबू, दवाइयाँ और बचाव-दल लेकर Sri Lanka पहुँचे।
- बचाव दलों ने उन इलाकों में अभियान चलाया, जहाँ सड़क संपर्क टूट चुका था — जैसे पहाड़ी अथवा भूस्खलन प्रभावित इलाके, जहाँ हवाई या नाविक माध्यम से लोगों को निकालना पड़ा। उदाहरण के तौर पर, Kotmale क्षेत्र में वायुसेना हेलिकॉप्टर द्वारा बचाव व एयरलिफ्टिंग ऑपरेशन हुआ।
- राहत सामग्री — भोजन, पानी, तंबू, दवाइयाँ, कंबल, प्राथमिक चिकित्सा — भेजी गई, और आपातकालीन शिविर स्थापित किए गए। प्रभावित लोगों को अस्थायी आश्रय, सुरक्षा और आवश्यक सहायता प्रदान की गई।
- भारत-श्रीलंका सहयोग और मानवीय मदद का काम जारी है, क्योंकि प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाएँ दयनीय स्थिति में हैं, और पुनरुद्धार के लिए बहुत काम बाकी है।
संकट की गंभीरता: Ditwah के प्रभाव और विनाश का पैमाना
चक्रवात Ditwah ने सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं — बल्कि मानवीय संकट पैदा कर दिया था। बाढ़, भूस्खलन, बारिश, तूफानी हवाएं और समुद्री लहरों के कारण व्यापक तबाही हुई।
- Sri Lanka में भारी बारिश, फ्लड और लैंडस्लाइड्स के चलते अब तक बड़ी संख्या में मौतें, घायल और लापता लोग हुए — साथ ही साथ हजारों घर, सड़क-पुल, बुनियादी ढांचा तबाह हुआ।
- जिन लोग फंसे — उनमें भारतीय नागरिक, विदेशी नागरिक, स्थानीय — सभी शामिल थे। तटीय, पहाड़ी और सड़कों से कटे इलाकों में राहत पहुँचाना मुश्किल था। लेकिन भारत और अन्य देशों की मदद से बचाव अभियान जारी रहा।
- महामारी, स्वास्थ्य संकट, स्वच्छता-समस्या, विस्थापन, घातक मौसम, बाढ़ की दोबारा संभावना — ऐसे सभी खतरे बनी हुई हैं। पुनर्वास, पुनर्निर्माण और दीर्घकालीन सहायता की ज़रूरत है।
इस बीच, नागरिकों की वापसी, राहत-सामग्री, बचाव दल, राहत शिविर — जितने भी कदम उठाए गए हैं, उससे यह स्पष्ट है कि मानवीय मदद व् संवेदनशीलता अब प्राथमिकता बन चुकी है।
क्यों है भारत की मदद महत्वपूर्ण — भू-राजनीति, मानवीयता और जिम्मेदारी
भारत द्वारा Operation Sagar Bandhu चलाना — सिर्फ एक राजनयिक या रणनीतिक प्रयास नहीं, बल्कि मानवीय भावना और पड़ोसी देश के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है।
- दक्षिण एशिया में, जब प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं — बाढ़, तूफान, भूस्खलन — तब पड़ोसी देश एक-दूसरे की मदद करते हैं। यह न केवल मानवीय कर्तव्य है, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग व स्थिरता के लिए भी ज़रूरी है।
- फंसे हुए नागरिक — चाहे वे पर्यटक हों, कामगार हों, प्रवासी हों — उनकी सुरक्षा, जान-माल की रक्षा, और उचित पुनर्वास — इन पर समय पर सहायता देना यह दिखाता है कि संकट की घड़ी में भारत अपने नागरिकों व पड़ोसियों दोनों के प्रति जिम्मेदार है।
- राहत व् बचाव कार्यों का यह अनुभव भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिए मॉडल बन सकता है — जैसे बचाव-संयुक्त अभियान, त्वरित वतन-वापसी, राहत-शिविर, अंतरराष्ट्रीय समन्वय — सबकी तैयारी पहले से हो सकती है।
आगे की चुनौतियाँ: राहत से पुनरुद्धार तक — लंबा सफर
हालाँकि फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित लौटाया जा चुका है, लेकिन वास्तविक राहत व पुनर्निर्माण अभी शुरू हुआ है। आगे निम्न चुनौतियाँ मौजूद हैं:
- बुनियादी ढांचा पुनर्निर्माण: ध्वस्त हुए घर, सड़क-पुल, बिजली-पानी, संचार — सब बहाल करना होगा। यह प्रक्रिया समय-साध्य व महंगी होगी।
- विस्थापित लोगों का पुनर्वास: जिन लोगों ने घर खोया है, या जिन्हें तात्कालिक शरण देनी पड़ी है — उन्हें स्थायी आवास, रोज़गार, स्वास्थ्य-सेवा, शिक्षा आदि उपलब्ध करवाना होगा।
- स्वास्थ्य व स्वच्छता: बाढ़, कीचड़, गंदगी से स्वास्थ्य-संकट, संक्रामक बीमारियाँ, मद्यापान, मानसिक तनाव आदि समस्या बन सकते हैं।
- आगामी मौसम व जलवायु तैयारी: Ditwah जैसा तूफान फिर आ सकता है — इसलिए तटीय सुरक्षा, बांध, जल-निकासी, आपदा-प्रबंधन, चेतावनी व सक्षम बचाव तंत्र तैयार करना होगा।
- मानवीय व आर्थिक मदद, पुनरुद्धार फंडिंग: अंतरराष्ट्रीय मदद, सरकार की योजना, NGOs व नागरिक समाज — सब मिलकर काम करें, ताकि पुनरुद्धार त्वरित व स्थायी हो।
निष्कर्ष — मानवीयता, पक्की तैयारी और सहयोग ही सच्ची ताकत
चक्रवात Ditwah ने हमें याद दिला दिया कि प्राकृतिक आपदा किसी को नहीं पूछती — वह गरीबी, राष्ट्रीयता, धर्म नहीं देखती। लेकिन साथ ही — यह भी दिखाया कि इंसानियत, मदद, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है।
भारत ने Operation Sagar Bandhu के जरिए दिखाया कि संकट की घड़ी में कैसे एक मजबूत, संवेदनशील और तुरंत प्रतिक्रिया देने वाला मॉलिक देश बनना चाहिए।
फंसे नागरिकों की सुरक्षित वतन-वापसी, राहत-कार्य, बचाव दलों की कार्रवाई — ये सब इस बात का प्रमाण हैं कि अगर इच्छा हो, तो मुश्किल से भी निपटा जा सकता है।
लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी है: पुनरुद्धार, पुनर्निर्माण, दीर्घकालीन तैयारी, सुरक्षित जीवन, जलवायु-सुरक्षा — ये कदम अभी शुरू हुए हैं।
अगर क्षेत्रीय सहयोग, अंतरराष्ट्रीय मदद, स्थानीय प्रशासन, NGOs, नागरिक — सब मिलकर काम करें — तो हम ऐसे तूफानों व आपदाओं का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
चाहे आप प्रभावित हों, या नहीं — यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम तैयार रहें, संवेदनशील रहें और मानवता को प्राथमिकता दें।


