नई दिल्ली — राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में हाल के दिनों में कुछ सुधार देखा गया है, लेकिन यह सुधार सतही और अल्पकालिक रहा है। राजधानी की हवा ‘खराब’ (Poor) श्रेणी में आ गई है, जबकि कुछ इलाकों में धुंध और प्रदूषण का स्तर अभी भी लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है।
हालांकि दिल्ली में AQI पहले की तुलना में थोड़ा गिरा है, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह सुधार स्थायी नहीं है। मौसम के कारण थोड़ी-बहुत हवा चलने से कुछ दिनों के लिए धुएँ और प्रदूषकों का फैलाव कम हुआ, जिससे AQI थोड़ा सुधरा और ‘बेहद खराब’ (Very Poor) श्रेणी से ‘खराब’ श्रेणी में आ गया। CPCB तथा NDTV के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, सुबह-समय AQI लगभग 299 दर्ज हुआ, जो ‘खराब’ श्रेणी के ऊपरी स्तर के करीब है। हालांकि, कुछ इलाकों में यह संख्या 300 से ऊपर भी रही, जिससे वायु गुणवत्ता समस्या अभी समाप्त नहीं हुई है।
प्रदूषण में मामूली गिरावट — किन कारणों से?
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार का मुख्य कारण मौसम विभाग (IMD) द्वारा बताई गई “हवा का प्रवाह” और हवा की दिशा में बदलाव रहा है। कुछ दिनों पहले तक हवा बंद थी और तापमान गिरता जा रहा था, जिससे प्रदूषक नीचे भूमि पर फँसे रहते थे। लेकिन अचानक हवा की दिशा बदलने और थोड़ी-बहुत हवाओं के कारण, कुछ दिन के लिये प्रदूषण फैलाव में कमी आयी। इससे AQI में गिरावट हुई और शहर का औसत AQI कुछ समय के लिये “बेहद खराब” श्रेणी से गिरकर “खराब” श्रेणी में पहुंच गया। इस प्रवाह के कारण कुछ इलाकों में पीएम2.5 और पीएम10 जैसे कण हवा से हटे, जिससे AQI में गिरावट दर्ज की गयी।
मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि यह सुधार स्थायी नहीं है। दिल्ली पर शीतलहर (Cold Wave) और कम हवा की गति अक्सर प्रदूषण की समस्या को और गंभीर बना देती है। हवा की कम गति और तापमान की गिरावट से धुआँ और धूल जमीन के पास फँस जाती है, जिससे वायु की गुणवत्ता बहुत खराब से स्थिर रूप से खराब रहती है। अगले कुछ दिनों के लिये मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि हवा की गति फिर कम होगी, जिससे AQI फिर से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में प्रवेश कर सकती है।
राजधानी का वर्तमान स्थिति — AQI डेटा का विस्तृत विश्लेषण
दिल्ली में लगभग 39 AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों द्वारा रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ इलाकों में सुधार देखा गया है, लेकिन अधिकांश इलाकों में हवा अभी भी प्रदूषण से प्रभावित है। निम्नलिखित रिपोर्टों से यह स्थिति स्पष्ट होती है:
- कई हिस्सों में AQI ‘खराब’ श्रेणी में आया — और राजधानी का औसत लगभग 299 रहा। कुछ मॉनिटरिंग स्टेशनों ने ‘बहुत खराब’ श्रेणी में भी प्रदूषण मापा।
- कुछ क्षेत्र अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बने हुए हैं, जैसे कि रोहिणी, बवाना, आरके पुरम और आनंद विहार। कई इलाकों में AQI 300 से ऊपर बना हुआ है।
- पिछले दिनों हवा की गति के कारण AQI स्तर में थोड़ी गिरावट आयी, जिससे पीएम2.5, पीएम10 तथा NO₂ कणों की सांद्रता थोड़ी कम हुई। लेकिन हवा फिर से शांत होने पर प्रदूषण की मात्रा बढ़ने की आशंका है।
प्रदूषण के मुख्य कारण और NCR क्षेत्र की स्थिति
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का मुख्य स्रोत यातायात-उत्सर्जन (vehicles emission), निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल, औद्योगिक कचरा और शीत मौसम में हवा की धीमी गति है।
- वाहनों से निकलने वाला धुआँ पीएम2.5 प्रदूषकों का प्रमुख स्रोत है, विशेषकर पुराने BS-IV डीज़ल वाहनों का उत्सर्जन और भारी-वाहन (Heavy vehicles) का प्रदूषण लगातार भारी मात्रा में जारी रहता है।
- निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल (‘construction dust’) और सड़क किनारे कचरा/धूल का फैलाव भी गंभीर समस्या है। दिल्ली प्रशासन ने इन पर नियंत्रण के लिए कुछ कदम उठाये हैं, जैसे पानी से सड़क की सफ़ाई और निर्माण स्थलों पर रोक-नियमों की सख्ती। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।
- मौसम विभाग के मुताबिक, कोल्ड वेव और कोहरे वाली सुबह में हवा की गति कम होने से प्रदूषण नीचे फँसता है, जिससे Smog की मोटी चादर बनती है। यह दृश्य हर सर्दी में दिल्ली में आम है, परन्तु इस बार ठंड की शुरुआत जल्दी होने से प्रदूषण नियंत्रण सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव है।
प्रशासन का कदम और प्रदूषण नियंत्रण प्रयास
प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रित करने के लिये कई उपाय और प्रारंभिक कदम उठाये हैं:
- पानी छिड़काव (Water sprinklers) और सड़क की सफाई मशीनों का प्रयोग, जिससे सड़क-धूल के फैलाव को कम किया जा सके। स्थानीय अधिकारी दिनों-रात काम कर रहे हैं, परन्तु चारों ओर से Smog की मोटी चादर कम नहीं हो रही है।
- उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने कई विभागों, राज्य सरकारों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें 2026 हेतु विस्तृत कार्ययोजना (Action plan) मांगी गयी। इस श्रेणी में 8 प्रमुख क्षेत्रों जैसे सड़क मरम्मत, धूल नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन सुधार और औद्योगिक उत्सर्जन पर नियमों का कड़ाई से पालन शामिल है।
- कुछ अधिकारियों ने BS-IV एवं पुराने वाहनों पर प्रतिबंध का सुझाव भी दिया है ताकि वाहन-जनित उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।
इसके साथ-ही-साथ, NCR के आसपास के जिलों — जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम — में भी हवा में प्रदूषण ‘बहुत खराब’ श्रेणी तक पहुँच चुका है। इन शहरों में Smog की मोटी परतें लोगों को सांस लेने में कठिनाइयाँ पैदा कर रही हैं।
स्वास्थ्य प्रभाव और जनता पर असर
प्रदूषण – विशेषतः PM2.5 और NO₂ – लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है:
- बच्चों, बुज़ुर्गों और फेफड़ों तथा हृदय रोग से पीड़ित लोगों में सांस लेने में कठिनाई, खांसी, कफ, अक्सर सिरदर्द और थकान देखी जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यदि प्रदूषण 300+ AQI तक रहता है, तो दिन-प्रतिदिन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ते हैं।
- सामान्य नागरिक भी धुएँ, धूल और PM कणों के संपर्क में आने पर छींक, गले में दर्द और अल्प-कालिक साँस-यात्रा की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से सुबह-सुबह को धुंध-भरी स्थिति में यह लक्षण अधिक दिखाई देते हैं।
- गर्भवती महिलाएँ, बच्चों के फेफड़े का विकास और स्वास्थ्य पर प्रदूषण से दीर्घकालिक प्रभाव के कारण चिंताएँ और भी व्यापक हो रही हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसे समय में विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए। (संदर्भ के लिये: नाभिकीय–गर्भावस्था स्वास्थ्य रिपोर्टें, जैसे Harvard-NIH रिपोर्ट; पराली जलाने वाले कारणों के अतिरिक्त क्षेत्रीय प्रभाव पर अध्ययन)
निष्कर्ष: दिल्ली की चल रही लड़ाई
हालाँकि कुछ इलाकों में AQI में थोड़ी गिरावट और सुधार देखा गया है, परन्तु दिल्ली और NCR क्षेत्र में वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर चुनौती बनी हुई है।
मुख्य बातें:
- राजधानी में AQI लगभग 299 स्तर पर पहुँचकर “खराब” श्रेणी में तो आई, लेकिन अधिकांश इलाकों में प्रदूषण अभी भी “बहुत खराब” से “खराब” के बीच रहा।
- मौसम, हवा की गति और स्थानीय प्रशासन की नीतियों में बदलाव के बावजूद यह सुधार अल्पकालिक प्रतीत होता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ठंड और कम-हवा की अवधि से प्रदूषण फिर बढ़ सकता है।
- प्रशासन द्वारा अपनाये गए उपाय तथा केंद्रीय समीक्षा समिति की योजनाएँ दीर्घकालिक सुधार में मदद कर सकती हैं, किन्तु जनता, सरकार और प्रदूषण-नियंत्रण एजेंसियों को मिलकर कार्य करना आवश्यक है।
संक्षेप में, दिल्ली के निवासियों को कुछ राहत मिली है, लेकिन यह अंतिम तक नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास जारी हैं, परंतु मौसम और औद्योगिक-यातायात-कारकों के कारण यह समस्या अभी पटन की ओर नहीं है। राजधानीवासियों को स्वास्थ्य-सावधानियाँ अपनाते रहना चाहिए और प्रशासन को लंबे-समय के रणनीतिक उपायों को तेजी से लागू करना आवश्यक है।

