2025 के 28 नवंबर की सुबह दिल्ली और कई इलाके साँस लेना मुश्किल महसूस करने लगे — वजह: हवा की बढ़ती प्रदूषण (Air Pollution)। सुबह 8 बजे की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी का औसत Central Pollution Control Board (CPCB)-AIR Quality Index (AQI) 384 तक पहुंच गया — जो “बहुत खराब (Very Poor)” श्रेणी में आता है। लेकिन, कई इलाकों में तो स्थिति और भयावह थी — AQI “Severe / गंभीर” श्रेणी में दर्ज हुआ, जिसने लोग व शासन दोनों चिंतित कर दिए।
16–20 दिनों पहले से यानी ठंड शुरू होते ही, दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता लगातार गिर रही है। पर 28 नवंबर की रिपोर्ट ने चिंता की हद पार कर दी। आइए देखें — क्या हुआ, क्यों हुआ और इसके क्या असर हो सकते हैं।
कहाँ-कहाँ हालात चरम — AQI आंकड़े बता रहे कहानी
- राजधानी के मुंडका इलाके में AQI 436 दर्ज हुआ — जो पूरे शहर में सबसे खराब स्तर रहा।
- रोहिणी में 432, जयहँगीरपुरी 420, आनंद विहार 408, पंजाबी बाग़ 417 — कई इलाकों में हवा “Severe / गंभीर” श्रेणी।
- पुराने दिल्ली इलाकों जैसे चांदनी चौक, बुराड़ी, जंहुगिरीपुरी, आर. के. पुरम, नरेला आदि में भी AQI 400 पार।
- दिल्ली-एनसीआर के उपनगरीय शहर भी पीछे नहीं — Noida में AQI 404 (Severe), ग्रेटर नोएडा 377, Ghaziabad 350 — हवा पूरी तरह जहरीली रही।
केंद्रीय बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली के 39 मानिटरिंग स्टेशन में से 19 ने 400+ AQI रिकॉर्ड किया — यानी लगभग आधे शहर में “Severe” स्तर।
इससे स्पष्ट है कि दिल्ली की हवा सिर्फ “कुछ इलाकों की समस्या” नहीं — बल्कि पूरे महानगर की साझा समस्या बन चुकी है।
क्या कारण है इतनी तेजी से गिर रही हवा की गुणवत्ता?
विश्लेषकों का कहना है कि इस बार प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई वजहें मिली-जुली हैं:
- मौसम और हवा की चाल धीमी — इस समय ठंडी हवाएं, कम गति, तापमान में गिरावट जैसी परिस्थिति है। इससे प्रदूषक कणों (PM2.5, PM10) का फैलाव नहीं हो रहा, हवा “रुक” रही है।
- वाहन उत्सर्जन (Vehicular Emissions) — ट्रैफिक, बसें, कार-ट्रक आदि से निकली गैसें और धुआँ दिल्ली-एनसीआर और आसपास के शहरों में वायु-गुणवत्ता बिगाड़ रहा है।
- औद्योगिक धुएँ, निर्माण-धूल, स्थानीय प्रदूषण — निर्माण कार्य, धूल-उत्प्रेरित गतिविधियाँ, औद्योगिक धुआँ — इनका भी योगदान रहा है।
- पराली जलाना, पड़ोसी राज्यों से धुआँ — आसपास के इलाकों में पराली जलने, कृषि-उत्सर्जन, धूल-उड़ान आदि से मिलकर वायु कणों की मात्रा हवा में बहुत बढ़ जाती है (PM2.5, PM10), जो जहरीली बन जाती है।
इनके अलावा, मौसम का शांत रहना, हवा का न बहना, ज्यादा ट्रैफिक — यह सब मिलकर “स्मॉग + जहरीली हवा + सांस लेने में मुश्किल” के Perfect Storm जैसा माहौल बना रहे हैं।
जनता पर असर — स्वास्थ्य, रोजमर्रा, परिवार
इस तरह की वायु-गुणवत्ता का असर सिर्फ “कुछ असुविधा” नहीं होती — यह सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्य, जीवन की गुणवत्ता तक प्रभावित करती है:
- स्वास्थ्य खतरा — PM2.5 व PM10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाते हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की बीमारियाँ, हृदय-सम्बंधी समस्याएँ, आंखों या गले में जलन, एलर्जी, सांस फूलना जैसे गंभीर असर हो सकते हैं। बुज़ुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाओं या जिन्हें पहले से श्वसन / हृदय की बीमारी है — उनकी स्थिति अधिक गम्भीर।
- घर से बाहर निकलना दिक्कत भरा — स्मॉग और जहरीली हवा के कारण सुबह-शाम धुंध, तीव्र साँस फूलना, आँखों में जलन इत्यादि — इन सबके कारण लोग घर से निकलने से डर रहे हैं। बच्चों की स्कूल, कॉलेज, खेल-कूद प्रभावित — Outdoor activities खतरे में।
- दैनिक जीवन बाधित — ऑफिस-वर्क, सफर, बाहर जाना, घरेलू काम — सभी प्रभावित। दफ्तरों में वर्क-फ्रॉम-होम (WFH) की मांग बढ़ सकती है।chestra
- मानसिक व सामाजिक असर — लगातार धुंध, सांस लेने में तकलीफ, असहज माहौल — लोगों में चिंता, असहजता, क्रोध या अवसाद जैसी मानसिक समस्याएँ भी हो सकती हैं।
प्रशासन व पॉलिसी — क्या हो रहा है, क्या करना चाहिए?
प्रदूषण बढ़ते ही सरकार व पर्यावरण-प्रबंधन संस्थाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस बार भी कुछ कदम उठाए गए हैं, पर पर्याप्त नहीं लग रहे।
जो किया गया है / सुझाया गया है
- पहले पिछले हफ्तों में Graded Response Action Plan (GRAP) के तहत कुछ नियम लागू किए गए थे: निर्माण गतिविधियों पर अंकुश, वाहनों पर प्रतिबन्ध, निर्माण-धूल पर नियंत्रण आदि।
- पर जैसे ही कुछ राहत मिली, कई गतिविधियाँ फिर शुरू हो गईं — और हवाओं की धीमी गति व मौसम ने स्मॉग फेंक दिया।
- विशेषज्ञ आरोप लगा रहे हैं कि जिस प्रकार की मॉनिटरिंग, पॉलिसी, प्रवर्तन चाहिए — वह पर्याप्त नहीं है।
क्या करना चाहिए — ज़रूरत है ठोस कदमों की
- वाहन उत्सर्जन में कटौती — सार्वजनिक परिवहन (बस, मेट्रो), इलेक्ट्रिक वाहन, कार-शेयरिंग, साइकिल-मार्ग आदि को बढ़ावा।
- निर्माण और धूल-उत्प्रेरित गतिविधियों पर नियंत्रण — निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, पानी छिड़काव, निर्माण-धूल को फैलने से रोकना।
- कचरा जलने व पराली जलने पर पाबंदी — आसपास के राज्यों व इलाकों से आए प्रदूषण को रोकना।
- हरित पट्टी, पेड़-पौधे, खुला सुविधाजनक क्षेत्र — वायु को शुद्ध रखने के लिए।
- जन जागरूकता — मास्क पहनना,Outdoor कम करना, एयर-प्यूरीफायर, वायु-गुणवत्ता से बचाव आदि पर लोगों को सतर्क करना।
- मॉनिटरिंग और पॉलिसी सख्ती — अधिक व समझदारी भरी पर्यावरण नीतियाँ, विनियमन, और लोगों को जवाबदेह बनाना।
क्या जल्द मिलेगी राहत? — विशेषज्ञ अनुमान
विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की स्थिति कुछ दिन यही बनी रह सकती है — क्योंकि:
- हवा की गति अभी धीमी है;
- धूल-उत्सर्जन, ट्रैफिक, धुएँ के स्रोत अभी सक्रिय हैं;
- दीपावली-पराली जलाने व शीत-मौसम ने प्रदूषण बढ़ा दिया है;
इसलिए जल्द ही नहीं — लेकिन अगर कड़े कदम उठाए जाएँ, तो कुछ हद तक सुधार संभव है।
वैकल्पिक समाधान हो सकते हैं: पब्लिक-परिवहन, एयर-प्यूरीफायर, हरित क्षेत्र, प्रदूषण नियंत्रण — पर उनकी ज़रूरत तुरंत महसूस हो रही है।
हम सबकी जिम्मेदारी — सिर्फ सरकार नहीं, प्रत्येक नागरिक को सतर्क रहना होगा
- अगर आप बाहर निकल रहे हों — मास्क पहनें, शारीरिक मेहनत कम करें।
- बच्चों, बुज़ुर्गों, संवेदनशील लोगों के मामले में — Outdoor गतिविधि टालें।
- अगर संभव हो — घर में एयर-प्यूरीफायर / वायु-फिल्टर रखें।
- निजी वाहन कम करें; पब्लिक-परिवहन, साझा-यात्रा (carpool), व साइकल इस्तेमाल करें।
- जिम्मेदारी से काम करें: कचरा जलाएँ नहीं, धूल-उत्प्रेरक काम न करें।
निष्कर्ष — दिल्ली फिर याद दिला रही है कि स्वच्छ हवा हमारी सबसे बुनियादी आवश्यकता है
28 नवंबर 2025 का दिन दिल्लीवासियों के लिए चेतावनी लेकर आया — हवा, जो कि अनदेखी होती रही, आज जीवन की सबसे अहम ज़रूरत बन गई है।
यदि हमने — सरकार, प्रशासन, नागरिक — मिलकर नहीं किया तो यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य-संकट बन सकता है।
इसलिए जरूरी है: जागरूकता, सुधार, जिम्मेदारी — तभी हम एक सुरक्षित, स्वस्थ, सांस-लेने लायक दिल्ली पा सकते हैं।


