क्या है चक्रवात डिटवाह?
- ‘डिटवाह’ 26 नवंबर 2025 को दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में बने एक गहरे अवसादन (deep depression) से उभरा। अगली 24 घंटे में यह तेजी से साइक्लोनिक तूफान में बदल गया।
- यह 2025 मौसम-सत्र का चौथा चक्रवाती तूफान है, और अक्टूबर–नवंबर में खाड़ी में बने तूफानों में से तीसरा।
तूफान का नाम “डिटवाह” यमन द्वारा सुझाया गया था। नाम Detwah Lagoon (सोकोत्रा द्वीप) से प्रेरित है।
डिटवाह कहा से शुरू हुआ और कहां पहुँचेगा
- तूफान श्रीलंका तट के पास शुरू हुआ। 27 नवंबर तक यह श्रीलंकाई तट एवं दक्षिण-पश्चिम खाड़ी में घूमा।
- 28 नवंबर की स्थिति के अनुसार, तूफान उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा में बढ़ रहा है। अनुमान है कि 30 नवंबर 2025 की तड़के या उसी दिन सुबह तक यह उत्तरी तमिलनाडु, पुडुचेरी व दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों से टकराएगा।
- मौसम विभाग — India Meteorological Department (IMD) — ने इन तटीय जिलों के लिए येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी कर दिए हैं।
कौन-कौन से इलाकों में है अलर्ट — और किस प्रकार की परेशानी हो सकती है
तटीय प्रभावित क्षेत्र
- तमिलनाडु: उत्तरी तट, डेल्टा क्षेत्र, चेन्नई, तिरुवल्लूर, तिरुचीरापल्ली, नागपट्टिनम, तंजावुर, मैयिलादुत्तराई, आदि।
- पुडुचेरी / कारैकल
- आंध्र प्रदेश का दक्षिणी तटीय हिस्सा एवं रायलसीमा क्षेत्र — विशेष रूप से जिन जिलों में कृषि चल रही है।
संभावित मौसम प्रभाव
- भारी से बहुत भारी बारिश — कुछ जगहों पर 24 घंटे में 20 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की संभावना।
- तेज हवाएँ — तटवर्ती इलाकों में 70–90 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार, समुद्री इलाकों में तूफानी हालत।
- समुद्र में ऊंची लहरें, समुद्री यात्रा व मछली-मार्गों में खतरा।
- तूफान के चलते प्रवास, यात्रा, वायु यात्रा, सड़क मार्ग, नौकायन — इन पर बड़ा असर, उड़ान रद्द, बंदरगाह बंद आदि संभावित।
राहत-तैयारी और सरकार की तैयारी — सक्रियता बढ़ी
- तमिलनाडु में National Disaster Response Force (NDRF) की टीम तैनात की गई है — विभिन्न जिलों में बचाव व राहत के लिए सैन readiness।
- प्रशासन ने लोगों से अपील की है — समुद्र किनारे न जाएँ, नाविकों व मछुआरों को समुद्री यात्रा न करने की सलाह, तटीय इलाकों के आवासों को मजबूत करने का निर्देश।
- स्कूल-क्लास बंदी, ट्रैफिक-सवारी में रोक, रेलवे और उड़ानों में संभावित रद्दीकरण — जैसे कदम उठाए गए या लिए जा रहे हैं।
किसानों और ग्रामीण इलाकों के लिए चिंता — खेती हो सकती है प्रभावित
- आंध्र प्रदेश के रायलसीमा व तटीय इलाकों में अभी कि फसल — धान (पैदावार) — कटाई/परिचालन के बीच में है। बारिश व तूफान के कारण फसल खराब होने की संभावना है।
- कई किसान पूछ रहे हैं कि वर्षा-जल की वजह से धान की नमी बढ़ जाएगी, जिससे सरकार द्वारा तय “नमी मानक” पर खरीदी में कमी या मना हो सकती है।
- ट्रांसपोर्ट व सड़क बंद होने से फसल, खाद, जरूरतमंद सामान की ढुलाई प्रभावित हो सकती है।
पिछले तूफानों के अनुभव और इस बार की तैयारी — क्या अलग है?
- अभी तक 2025 की “नॉर्थ इंडियन ओशन साइक्लोन सीज़न” में डिटवाह चौथा बड़ा तूफान है। इसके पहले आया था Cyclone Montha, जिसने आंध्रप्रदेश आदि दक्षिणी राज्यों को प्रभावित किया था।
- पूर्व में हुए तूफानों से मिली सीख — समय पर अलर्ट, राहत-शरण शिविर, नाविकों व मछुआरों की चेतावनी, स्कूल-टीचिंग बंद आदि — इस बार सरकार द्वारा तेजी से लागू की जा रही है।
- हालांकि, समुद्री रास्ते, नाविक-मछुआरों की रोज़ी, छोटे-मझोले किसानों की स्थिति, और तटीय आबादी की सुरक्षा — इन सबके लिए सजगता की आवश्यकता है।
आम लोगों के लिए सुझाव — कैसे रखें खुद और परिवार सुरक्षित
यदि आप तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी या तटीय इलाकों में रहते हैं या यात्रा कर रहे हैं — तो:
- मौसम विभाग के अपडेट (IMD), स्थानीय प्रशासन, NDRF नोटिस — नियमित देखें।
- तटीय इलाकों, समुद्र किनारे, नदियों, डेल्टा क्षेत्रों से दूर रहें।
- नाविकों व मछुआरों को समुद्र में जाने से बचें — बचाव तटों से न जाएँ।
- अगर संभव हो — सुरक्षित घर, ऊँचे स्थानों पर स्थानांतरण (evacuation) पर विचार करें।
- कृषि या खेतों में काम कर रहे हैं — फसल काट-संरक्षण, जल निकासी, कृषि उपकरण सुरक्षित रखें।
- यात्रा, फ्लाइट, ट्रेन, बस आदि — अपनी योजना स्थगित करें; जरूरी हो तभी जाएँ।
निष्कर्ष — डिटवाह बना चेतावनी की घंटी
‘डिटवाह’ सिर्फ एक तूफान नहीं — यह एक चेतावनी है कि प्रकृति की ताकत, मानव जीवन की नाज़ुकता, और समुद्री व तटीय जीवन की असुरक्षा के बीच संतुलन बहुत ज़रूरी है।
अगर समय पर अलर्ट, तैयारी और सतर्कता न रहे — तो नुकसान सिर्फ भौतिक नहीं, जान-माल, कृषि, रोजगार और जीवन-शैली तक हो सकता है।
इसलिए — सरकार, प्रशासन, नागरिक — सभी को मिलकर काम करना होगा। साथ ही, हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी, संवेदनशीलता और सुरक्षितता को नहीं भूलना चाहिए।

