Narendra Modi ने गोवा में 77-फुट ऊँची भगवान राम की भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया


  • शुक्रवार, 28 नवम्बर 2025 को गोवा के दक्षिणी जिले कैनाकोना के Shree Samsthan Gokarn Jeevottam Mutt (गोकर्ण पर्तगाली मठ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77 फ़ूट ऊँची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया।  
  • इस अनावरण समारोह का आयोजन उसी मठ के 550वें वर्ष के उत्सव—Sardha Panchashatamanotsava के अंतर्गत हुआ है।  
  • प्रतिमा को विश्व की सबसे ऊँची राम प्रतिमा बताया जा रहा है। इसके निर्माण की ज़िम्मेदारी मशहूर मूर्तिकार राम सुतार ने संभाली है — वही कलाकार जिन्होंने गुजरात की Statue of Unity डिजाइन की थी।  
  • समारोह के दौरान मठ परिसर में बनाए गए विशेष हेलिपैड के माध्यम से प्रधानमंत्री पहुँचे। गोवा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय व राज्य मंत्रीगण, व विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।  



प्रतिमा और उसका धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व

गोकर्ण जीवोत्तम मठ — परंपरा और इतिहास


  • Gokarn Partagali Mutt, गोवा में बसे सारस्वत ब्राह्मण समुदाय का प्रमुख धार्मिक केंद्र है। यह मठ लगभग 1656 ईस्वी में स्थापित हुआ था।  
  • 550 साल की लंबी परंपरा वाले इस मठ ने समय के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आज भी यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सक्रिय है। नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इसे ऐसे “संस्था जो सत्य और सेवा पर खड़ी” रही है, बताया।  

77-फुट कांस्य प्रतिमा — तकनीक, कला और प्रतीक


  • प्रतिमा पूरी तरह कांस्य की बनी है — जो इसे दीर्घकालिक बनावट देता है। इसे तैयार करने में राम सुतार की टीम ने महीनों मेहनत की।  
  • प्रतिमा में भगवान राम का रूप — धनुष-बाण लिए, शांत और गंभीर भाव लिए — ऐसा रूप है जो श्रद्धालुओं व पर्यटन-प्रेमियों दोनों को आकर्षित करता है। मठ प्रबंधन और वास्तुकारों का कहना है कि यह प्रतिमा न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का केन्द्र बनेगी, बल्कि गोवा में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी।  
  • मठ परिसर में साथ ही एक नया Ramayana Theme Park और एक स्मारक संग्रहालय (Ram Museum) बनाने की भी घोषणा की गई है, ताकि ‘रामायण’ एवं भारतीय धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जा सके।  


अनावरण समारोह — क्या हुआ, कौन-कौन थे मौजूद


  • प्रधानमंत्री मोदी ने दोपहर करीब 3:45 बजे मठ परिसर स्थित हेलिपैड पर लैंड किया। इसके बाद मंदिर में पूजा की और फिर प्रतिमा का अनावरण किया गया।  
  • इस दौरान गोवा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कई केंद्रीय और राज्य मंत्री, तथा गोकर्ण मठ के वरिष्ठ धार्मिक व सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद थे।  
  • समारोह के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज “मठ की 550-वर्षीय परंपरा में एक नया अध्याय शुरू हुआ है”। उन्होंने कहा कि जब कोई संस्था सत्य व सेवा पर खड़ी हो, तो समय बदलने पर भी उसकी प्राप्ति बनी रहती है।  


सामाजिक व भावनात्मक आयाम — महत्त्व सिर्फ प्रतिमा तक सीमित नहीं

धार्मिक एकता और सांस्कृतिक पहचान


  • राम — भारतीय सभ्यता, धर्म और संस्कृति के प्रतीक रहे हैं। इस नई विशाल प्रतिमा के माध्यम से राम की श्रद्धा व संदेश को एक नए दृष्टिकोण के साथ पेश किया गया है। गोवा, जिसे आमतौर पर समुद्री, पर्यटन-और सांस्कृतिक राज्य माना जाता है, अब धार्मिक पर्यटन में भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।
  • मठ द्वारा तैयार Ramayana Theme Park और संग्रहालय न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि स्कूल-छात्रों, शोधकर्ताओं, पर्यटकों के लिए भी एक अवसर हो सकता है — जहाँ उन्हें हमारी धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत आधुनिक रूप में दिखेगी।



पर्यटन, अर्थव्यवस्था और स्थानीय विकास


  • इस भव्य प्रतिमा और नए धार्मिक-पर्यटन आकर्षण से गोवा में धार्मिक पर्यटन (pilgrimage tourism) को मजबूती मिलेगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, होटल-पर्यटन उद्योग, हस्तशिल्प, सेवाओं व अन्य क्षेत्रों को लाभ मिलने की संभावना है।
  • मठ परिसर के जीर्णोद्धार, सुव्यवस्थाजनक सुविधा, सड़क-परिवहन व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर — इन बदलावों से इलाके का दीर्घकालीन विकास संभव है।


आत्मिक व सामाजिक संदेश

  • प्रधानमंत्री का यह कदम और यह समारोह — “स्थापना, श्रद्धा, संस्कृति व एकता” का संदेश देता है।
  • यह कहना मुश्किल नहीं कि आज का भारत — जहां आधुनिकता, विकास व पारंपरिकता मिलकर चलता है — इस प्रकार की पहल उसके सांस्कृतिक संतुलन व पहचान को मजबूत करती है।


आलोचना व संवेदनशील पहलू — वैकल्पिक दृष्टिकोण


जैसे-जैसे धार्मिक-राजनीतिक महत्व बढ़ते हैं, ऐसी पहल कभी-कभी विवादों के केंद्र भी बन जाती हैं। नीचे कुछ ऐसे पहलू दिए जाते हैं जिन पर समाज व मीडिया को संवेदनशील रहना चाहिए:


  • धार्मिक प्रतीकों की विशालता व उनकी राजनीति — क्या सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है या उससे कहीं आगे?
  • पर्यटन व विकास के नाम पर स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक जीवन, पर्यावरण — इनको कितना संरक्षित रखा जाएगा?
  • भव्यता व खर्च — क्या साधारण भक्तों व स्थानीय लोगों की भागीदारी व सहमति रही?
  • भारत जैसा बहुसांस्कृतिक देश — धार्मिक प्रतीकों के माध्यम से असहमति या भेदभाव की भावना न बढ़े, यह ध्यान रखना होगा।



निष्कर्ष — 77-फुट राम प्रतिमा: श्रद्धा, इतिहास और आधुनिकता का संगम


गोवा में भगवान राम की 77-फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा — जो विश्व की सबसे ऊँची राम प्रतिमा कहलाती है — एक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक माइलस्टोन है। यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं; एक पहचान है — भारत की विविधता, उसकी परंपरा, उसकी श्रद्धा और उसके आधुनिक स्वरूप का संगम।


जहाँ एक ओर यह श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए श्रद्धा-केंद्र बनेगी, वहीं दूसरी ओर पर्यटकों, युवा पीढ़ी, शोधकर्ताओं व समाज के लिए यह सोचने और समझने का अवसर देगी कि हमारी विरासत क्या है — और हम उसे किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।


इस कदम को केवल एक भव्य अनावरण न समझें — इसे एक शुरुआत समझें। अगर इसे प्रेम, समझदारी और सामूहिक सम्मान के साथ आगे ले जाया जाए — तो यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, भारत की सांस्कृतिक शक्ति और हृदय-एकता का प्रतीक बन सकती है।