दिल्ली की बिगड़ती हवा संकट पर रविवार, 24 नवंबर 2025 को इंडिया गेट के पास हुए प्रदर्शन के बाद पुलिस ने 15 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, उन पर पुलिसकर्मियों पर मिर्ची (पेपर) स्प्रे करने, सार्वजनिक बाधा डालने और सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप करने के आरोप हैं।
यह घटना दिल्ली की राजधानी में नागरिक गुस्से की आवाज़ को दर्शाती है — जहाँ ताजा वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “गंभीर” श्रेणी तक पहुंच रहा है, और लोग सरकार से स्वच्छ हवा के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत और केंद्रित ताकत
- यह विरोध प्रदर्शन स्वच्छ हवा आंदोलन (Clean Air Protest) के तहत आयोजित हुआ था, जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता, आम नागरिक, छात्र और परिवारों ने भाग लिया।
- प्रदर्शनकारियों ने इंडिया गेट के C-हेक्सागन क्षेत्र में इकट्ठा होकर वायु गुणवत्ता में गिरावट, स्वास्थ्य खतरों और सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ नारे लगाए।
- पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी कि उनके जाम लगाने से आपातकालीन सेवाओं (एम्बुलेंस, मेडिकल टीम) को मुश्किल हो रही है।
- इसके बावजूद, कहा जाता है कि कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ते हुए सड़क पर उतर आए और सड़क पर बैठ गए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
झड़पें, पेपर स्प्रे और गिरफ्तारी
- पुलिस का कहना है कि हटाने की कार्रवाई के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने मिर्ची स्प्रे (चिली स्प्रे) पुलिसकर्मियों की ओर किया।
- इस हमले में 3‑4 पुलिसकर्मी आँखों और चेहरे में जलन की शिकायत लेकर अस्पताल ले जाए गए, जहां उनका इलाज आरएमएल (राम मनोहर लोहिया) अस्पताल में चल रहा है।
- ये पहला मौका था जब दिल्ली‑प्रदूषण विरोध प्रदर्शन के दौरान इस तरह की हिंसात्मक कार्रवाई सामने आई — पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “पहली बार हमें मिर्च स्प्रे का सामना करना पड़ा।”
- FIR कई धाराओं के अंतर्गत दर्ज की गई है, जैसे कि “सरकारी कामकाज में बाधा डालना”, “सार्वजनिक रास्तों में अवरोध” और “सामान्य संगठन इरादा” आदि।
- गिरफ्तार लोग संसद स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ले जाया गया और उनकी पहचान व पूछताछ की जा रही है।
पुलिस का बयान और उनका दृष्टिकोण
- दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने बार-बार चेतावनी के बावजूद बैरिकेड तोड़े और अस्पतालों की आकस्मिक सेवाओं के मार्ग को अवरुद्ध किया।
- डीसीपी (न्यू दिल्ली) देवेश कुमार महला ने मीडिया से कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने ऐसा व्यवहार दिखाया जिससे सार्वजनिक सुरक्षा और व्यस्त राजधानी इलाके में व्यवस्था को खतरा हो गया।
- पुलिस का यह भी कहना है कि यह विरोध शांतिपूर्ण था, लेकिन कुछ गुटों ने हिंसात्मक मोड़ ले लिया, जिससे नियंत्रण करना ज़रूरी हो गया।
- सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा बनाया गया है और पुलिस ने कहा है कि भविष्य में ऐसे प्रदर्शन स्थल और अनुमति‑प्रक्रिया पर और सख्ती होगी।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और उनका पक्ष
- प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह विरोध सिर्फ धुंध या धुएँ की समस्या नहीं है — यह “एयर इमरजेंसी” जैसा संकट है, जिसमें लोगों का स्वास्थ्य सीधे खतरे में है।
- उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह दीर्घकालीन और प्रभावी प्रदूषण-नियंत्रण नीतियाँ लागू करे, सिर्फ सांकेतिक कदम न उठाए।
- प्रदूषण-समर्थक आंदोलन के एक हिस्से ने यह भी कहा कि उनकी उम्र के लोग, बच्चे और बुजुर्ग “सांस लेने का अधिकार” मांग रहे हैं — स्वच्छ हवा सिर्फ एक पर्यावरण मुद्दा नहीं, एक मौलिक मानव अधिकार है।
- इस आंदोलन का एक और पहलू यह है कि प्रदर्शनकारी पारदर्शिता चाहते हैं — वायु गुणवत्ता डेटा, AQI रिपोर्टिंग और सरकारी जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
व्यापक दृश्य: प्रदूषण, राजनीति और नागरिक अधिकार
- यह घटना उस गहरी बेचैनी को दर्शाती है जो दिल्ली और NCR निवासियों में लंबे समय से मौजूद है — वायु प्रदूषण केवल एक मौसम‑संबंधी समस्या नहीं, बल्कि जीवन‑गुणवत्ता का संकट बन गया है।
- प्रदर्शन और पुलिस की प्रतिक्रिया के बीच तनाव यह भी दिखाता है कि नागरिक आवाज़ और सुरक्षा बलों के दायित्व के बीच संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- यह मोड़ प्रश्न खड़ा करता है — क्या सरकार और न्यायपालिका सिर्फ प्रदूषण की नज़ीरें घटाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, या नागरिकों के स्वास्थ्य और अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है?
- साथ ही, यह घटना भविष्य की प्रदूषण नीति संशोधन, कड़े नियम और नागरिक सहभागिता की नई मांगों की नींव भी रख सकती है।
संभावित परिणाम और अगली चुनौतियाँ
- कानूनी कार्रवाई
FIR के बाद गिरफ्तार लोगों के खिलाफ कानूनी मुद्दों की जांच का सिलसिला आगे बढ़ेगा। अदालतों में यह मामला “अराजकता” बनकर उभर सकता है, खासकर अगर प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें शांतिपूर्ण अधिकार मिला था। - नीति प्रतिक्रिया
सरकार और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ेगा कि वे सिर्फ तात्कालिक कदमों की बजाय दीर्घकालीन प्रदूषण-नियंत्रण नीतियाँ अपनाएं। यह नीति‑परिवर्तन नागरिकों और पर्यावरण-कर्मियों की मांग हो सकती है। - आंदोलन की पहचान
यह आंदोलन सिर्फ प्रदूषण के खिलाफ नहीं रह सकता — यह नागरिक अधिकार, स्वास्थ्य, पारदर्शिता और शासन‑जिम्मेदारी की लड़ाई का प्रतीक बन सकता है। - पुलिस‑प्रदर्शनकारी संबंध
भविष्य में प्रदर्शन को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने और नियंत्रण शक्ति को सीमित करने के लिए नए नियम और संवाद तंत्र बनाना होगा।
निष्कर्ष
दिल्ली‑एनसीआर की हवा ने एक बार फिर लोगों को सड़कों पर ला दिया है — यह सिर्फ प्रदूषण की लड़ाई नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों और सत्ता की जवाबदेही की मांग भी बन गई है। इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शन की तीव्रता, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प, और मिर्च स्प्रे का आरोप दर्शाते हैं कि यह समस्या सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, सामजिक और राजनीतिक है।
जहाँ पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभा रही है, वहीं लोग अपनी जान के अधिकार और सांस लेने का हक मांग रहे हैं। यह कहानी शायद एक शुरुआत है — ऐसे समय में, यह देखना रोचक होगा कि यह आंदोलन कैसे आगे बढ़ेगा और सरकार इस जनतात्मक चुनौती का सामना कैसे करती है।

