अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार, 23 नवंबर, 2025 को ट्विटर‑जैसे सोशल प्लेटफार्म (Truth Social) पर एक लंबा पोस्ट जारी करके यूक्रेन की नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि यूक्रेन की सरकार ने अमेरिका की युद्ध‑पारदर्शिता और आर्थिक-सैनिक सहायता के लिए “पूरी तरह कृतज्ञता” नहीं दिखाई है, बल्कि “ज़ीरो ग्रैटिट्यूड (शुक्रगुज़ारी)” व्यक्त की है। साथ ही ट्रम्प ने यूरोपीय देशों की निंदा की, क्योंकि वे अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं — यह वह समय है जब जनीवा (Geneva) में अमेरिका, यूरोप और यूक्रेनी प्रतिनिधियों के बीच एक महत्वपूर्ण शांति प्रस्ताव (peace framework) पर बातचीत चल रही है।
ट्रम्प की कटु टिप्पणी: “यूक्रेन ने हमारी मदद का सही अनुभव नहीं किया”
- ट्रम्प ने अपने Truth Social पोस्ट में यह भी कहा कि यह युद्ध “हमारे और यूक्रेन के नेतृत्व की कमी के कारण हुआ था” — उन्होंने दावा किया कि अगर अमेरिकी और यूक्रेनी दोनों ओर “मजबूत और सही नेतृत्व” होता, तो यह संघर्ष कभी न शुरू होता।
- इस पोस्ट में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने युक्रेन को भारी हथियार भेजे हैं (जैसे जॅवेलिन मिसाइल), लेकिन यूक्रेन की सरकार ने इसके लिए पर्याप्त सम्मान या धन्यवाद नहीं दिखाया है।
- ट्रम्प का कहना है कि यूरोप अभी भी रूस से तेल खरीद कर युद्ध में अप्रत्यक्ष भाग ले रहा है:
“यूक्रेन की ‘नेतृत्व’ ने हमारे प्रयासों के लिए जीरो ग्रैटिट्यूड व्यक्त की है, और यूरोप रूस से तेल खरीदना जारी रखता है।” - ट्रम्प ने यह भी कहा कि उन्होंने “ऐसा युद्ध विरासत में पाया है जिसे हमें कभी नहीं अपनाना चाहिए था” — और उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन को दोषी ठहराया कि उनकी नेतृत्व क्षमता कमजोर थी, जिससे यह संघर्ष बड़ गया।
शांति प्रस्ताव और यूरोपीय दबाव
- ट्रम्प का बयान उस समय आया है जब जिनेवा में एक 28‑पॉइंट शांति प्रस्ताव पर बातचीत हो रही है जिसे अमेरिका ने तैयार किया है।
- यह प्रस्ताव विवादित है, क्योंकि इसमें कहा गया है कि यूक्रेन को कुछ क्षेत्रों का त्याग करना चाहिए, अपनी सेना की संख्या कम करनी चाहिए और NATO में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़ देनी चाहिए।
- कई यूरोपीय नेताओं ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। वे कहते हैं कि इसे यूक्रेन की संप्रभुता और सैन्य सुरक्षा को खतरे में डालने वाला बनाया गया है।
- यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देर लेयेन ने खासकर कहा है कि “यूक्रेन की सीमाओं को बल से बदला नहीं जा सकता” और कि उसका सैन्य बल कमजोर नहीं छोड़ना चाहिए।
- वहीं, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ट्ज़ ने बताया है कि यूरोप का लक्ष्य एक ऐसा शांति ढांचा तैयार करना है जो “यूक्रेन‑पक्षधर हो और रूस से समझौते के मार्ग में काम कर सके।”
ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया: “धन्यवाद, अमेरिका”
- ट्रम्प के आरोपों के कुछ घंटे बाद, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने खुलकर अमेरिका और ट्रम्प का धन्यवाद किया।
- ज़ेलेंस्की ने लिखा कि “यूनाइटेड स्टेट्स का नेतृत्व मायने रखता है” और “हम आभारी हैं उन सभी प्रयासों के लिए जो अमेरिका और ट्रम्प सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर रहे हैं।”
- उन्होंने यह भी कहा कि शांति की दिशा में हर कदम सावधानीपूर्वक उठाया जा रहा है: “हम हर बिंदु पर, हर कदम पर बहुत सावधानी से काम कर रहे हैं, ताकि हम सचमुच इस युद्ध को खत्म कर सकें और फिर इसे दुबारा न होने दें।”
- ज़ेलेंस्की ने रूस की भूमिका पर भी कटु टिप्पणी की और कहा कि “मॉस्को अकेला उत्तरदायी है” — उन्होंने रूस पर हमला करने, बच्चों का अपहरण करने और युद्ध अपराधों का आरोप लगाया है।
ट्रम्प की शांति योजना: आलोचनाएँ और चिंताएँ
- ट्रम्प द्वारा समर्थित 28‑पॉइंट प्रस्ताव को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कई लोग कहते हैं कि यह रूस‑पक्षधर है। इस प्रस्ताव में ज़ेलेंस्की से ऐसे समझौते की मांग की गई है जो यूक्रेन की सैन्य ताकत को बहुत कम कर दे।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ अमेरिकी सांसदों का कहना है कि मैर्को रूबियो ने उन्हें बताया था कि यह प्रस्ताव “रूसी वॉशलिस्ट जैसा” है।
- यूरोपीय देश, विशेष रूप से यूके, जर्मनी और फ्रांस, एक संशोधित और अधिक “यूक्रेन‑फ्रेंडली” योजना पेश कर रहे हैं, क्योंकि वे यूक्रेन की आज़ादी और सीमाओं की सुरक्षा को बनाए रखना चाहते हैं।
- इस बीच, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ट्रम्प का शांति मॉडल वास्तव में रूस को ज्यादा लाभ पहुंचा सकता है और यूक्रेन की सैन्य स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।
स्थिति तनावपूर्ण: यूक्रेन के सामने वैचारिक संकट
- ज़ेलेंस्की और उनकी सरकार के लिए यह समय बहुत घातक मोड़ हो सकता है। एक ओर ट्रम्प दबाव बना रहे हैं कि प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार किया जाए, दूसरी ओर यूक्रेन अपनी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
- रूसी सेनाओं द्वारा किए जा रहे हमले, विशेषकर पूर्वी यूक्रेन में, शांति प्रस्ताव को और अधिक जटिल बनाते हैं। यूक्रेनियन कमांडर चेतावनी दे रहे हैं कि वे सीमित संसाधनों में सैन्य मोर्चे पर संघर्ष जारी रख सकते हैं।
- घरेलू मोर्चे पर, ज़ेलेंस्की पर भ्रष्टाचार के आरोप भी बढ़ रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि एक बड़े वित्तीय किकबैक घोटाले ने उनकी सरकार के अंदर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- इस बीच, यूरोपीय नेताओं, यूक्रेनी जनमानस और अमेरिकी समर्थकों के बीच यह बहस चल रही है कि क्या यह समझौता “राष्ट्रीय स्वाभिमान का बलिदान” होगा या “एक व्यावहारिक युद्धविराम” का साधन।
डायप्लोमेटिक खेल और इंटरनैशनल दबाव
- जिनेवा में बातचीत एक महत्वपूर्ण मंच बन गई है, जहाँ अमेरिकी और यूक्रेनी प्रतिनिधि मिलकर शांति प्रश्नों पर चर्चा कर रहे हैं।
- अमेरिका का इस प्रस्ताव का उद्देश्य न सिर्फ युद्ध समाप्त करना है, बल्कि यह अपनी वैश्विक भूमिका को दोबारा मजबूत करना चाहता है — खासकर उस दृष्टि से कि वह शांति निर्माता के रूप में सामने आए।
- यूरोपीय देश हॉकिश रूस‑पक्षधर बिंदुओं के मुकाबले एक अधिक “संतुलित” और “यूक्रेन‑सम्मानीय” समाधान चाहते हैं। ये दृष्टिकोण उनकी भू-रणनीतिक प्राथमिकताओं और सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है।
- इसी बीच, रूस की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण है: अगर यह प्रस्ताव स्वीकार किया गया, तो यह मास्को के लिए एक बड़ी जीत हो सकती है — लेकिन यूक्रेन और यूरोप के लिए यह समझौता गहरे राजनयिक और राष्ट्रीय खतरों को जन्म दे सकता है।
निष्कर्ष: ट्रम्प का शब्द, ज़ेलेंस्की की रणनीति और वैश्विक जुनून
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा “ज़ीरो ग्रैटिट्यूड” का आरोप लगाने की ये ताज़ा बात सिर्फ एक बयान न होकर एक बड़ी राजनयिक लहर का हिस्सा है। यह बयान शांति वार्ताओं, भू‑रूपरेखा बदलाव और अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन पर एक नए संकट की झुलक दिखाता है।
ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया, जिसमें उन्होंने अजीबोगरीब रूप में “धन्यवाद, अमेरिका” कहा, यह बताती है कि उनकी सरकार अभी भी विकल्प तलाश रही है — न सिर्फ युद्ध जारी रखने का, बल्कि एक समृद्ध, सम्मानजनक और संभवतः स्थायी शांति स्थापना का। लेकिन यह मार्ग इतना सरल नहीं है: भू-राजनीतिक दबाव, आंतरिक संकट और सैन्य चुनौतियाँ इस शांति प्रस्ताव को एक कठिन परीक्षण बना रही हैं।
अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बनती है, तो यह युद्ध के इतिहास में एक नया अध्याय हो सकता है — लेकिन अगर न बने, तो ट्रम्प की “ज्ञाति की कमी” की निंदा एक बिंदु नहीं, एक संकेत हो सकता है कि शांति अभी भी एक दूर‑पहुंच का लक्ष्य है।


