30 नवंबर 2025 को, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नेशनल हेराल्ड मामले में एक नई प्राथमिकी दर्ज की है। इस नई FIR में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं — राहुल गांधी और सोनिया गांधी — के साथ 6 और व्यक्तियों तथा संबंधित कंपनियों को शामिल किया गया है।
यह नया कदम एक लंबे चले आ रहे कानूनी एवं राजनीतिक विवाद में एक नया मोड़ लेकर आया है। इस लेख में — हम इस नए FIR के कारण, आरोपों, पृष्ठभूमि, संभावित आगे की प्रक्रिया तथा इसके राजनीतिक-नैतिक और सामाजिक-कानूनी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
नेशनल हेराल्ड मामला: पृष्ठभूमि और पहले से जारी जांच
- इस केस की शुरुआत 2012–2014 में हुई, जब पूर्व सांसद Subramanian Swamy ने शिकायत दी कि पार्टी-सम्बद्ध प्रकाशन कंपनी Associated Journals Limited (AJL) के फंड्स और संपत्तियों का गलत तरीके से हस्तांतरण किया गया।
- आरोप है कि कांग्रेस नेताओं Young Indian Private Limited नामक कंपनी के ज़रिए — जिसमें सोनिया और राहुल का 76% शेयरहोल्डिंग है — AJL की संपत्तियाँ, जिसमें अचल व चल संपत्ति शामिल है, बेहद कम दाम (कुछ करोड़ रुपये) में ले ली गईं। ED ने आरोप लगाया कि यह एक “fraudulent takeover” था।
- 2025 अप्रैल में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने आरोप-पत्र (chargesheet) दाखिल किया, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल, और दूसरे नेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश का आरोप था। कोर्ट ने चार्जशीट की समीक्षा के बाद संज्ञान लेने का फैसला 29 नवंबर तक टाल दिया।
यानी यह मामला नया नहीं है — यह एक पुरानी जाँच है, जिसमें अनियमित वित्तीय लेन-देन, संपत्ति हस्तांतरण और कंपनी-अधिग्रहण जैसे गंभीर आरोप शामिल रहे हैं।
नया FIR: क्या नया है — कौन जोड़ा गया
- नई FIR, जो 30 नवंबर 2025 को EOW द्वारा दर्ज की गई, में सिर्फ कांग्रेस के दो नेताओं तक ही सीमित नहीं है — बल्कि 6 और नाम जोड़े गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इस FIR की पृष्ठभूमि ED की शिकायत थी।
- जिन लोगों व संस्थाओं के नाम शामिल किए गए हैं — उनमें प्रमुख हैं: Sam Pitroda, अन्य कई निजी व्यक्ति, और कंपनियाँ: Young Indian, Dotex Merchandise Pvt Ltd, तथा AJL।
- FIR में आरोप है कि इन लोगों/कंपनियों ने मिलकर AJL की करीब ₹2,000 करोड़ की संपत्ति को धोखाधड़ी के ज़रिए अपने नियंत्रण में लिया था। FIR में “criminal conspiracy” और मनी-लॉन्ड्रिंग से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।
- हालांकि, अदालत ने अभी इस नई FIR पर संज्ञान नहीं लिया है; पहले से दायर chargesheet की सुनवाई 16 दिसंबर 2025 तक टाली गई है।
इस प्रकार, नए FIR के साथ, यह मामला और भी जटिल हो गया है — जहाँ न सिर्फ राजनीतिक विवाद, बल्कि व्यापक आर्थिक और कानूनी दायरे भी खुल गए हैं।
आरोप — क्या कहा गया है दस्तावेजों में
नए FIR और पुराने आरोपों के मुताबिक, मुख्य आरोप निम्न हैं:
- साज़िश के तहत संपत्ति अधिग्रहण — AJL, जो कि कभी अखबार और मीडिया प्रकाशक रही, उसकी सम्पत्तियाँ — अचल व चल, जमीन, भवन, संपत्तियाँ — Young Indian के माध्यम से कम दाम में हासिल की गईं। FIR में कहा गया है कि यह अधिग्रहण फर्जी (fraudulent) था।
- मनी लॉन्ड्रिंग — ED ने आरोप लगाया है कि AJL की संपत्तियाँ लेकर उन्हें पुनर्विक्रय, डोनेशन, एडवांस रेंट, विज्ञापन आदि के माध्यम से धनशोधन किया गया। चार्जशीट में लगभग ₹988 करोड़ (कुछ रिपोर्ट्स में ₹2,000 करोड़) के कथित मनी-लॉन्ड्रिंग रेकॉर्ड का जिक्र है।
- बोगस कंपनियों व शेल-कॉर्पोरेशन का उपयोग — Dotex Merchandise Pvt Ltd जैसी कंपनियों का उपयोग धन को छुपाने या फर्जी कारोबार दिखाने के लिए किया गया, जो कि FIR व ED आरोपों में लिखा गया है।
- कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन — आरोप है कि प्रेस एवं मीडिया कम्पनी (AJL) का स्वामित्व और नही चल रही कंपनी को लेकर धोखाधड़ी की गई, जिससे निवेशकों, लेनदारों और कानूनी हितधारकों को धोखा हुआ।
कानूनी प्रक्रिया अब कहां है — आगे क्या हो सकता है
- अभी तक अदालत ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने का फैसला नहीं किया है; पहले सुनवाई 29 नवंबर हुई थी, अब 16 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई तय है।
- नई FIR के माध्यम से जांच और विस्तारित हो चुकी है — इसमें नए आरोप, नए नाम, और अतिरिक्त दस्तावेजी सबूत शामिल होंगे। इससे एजेंसियों को और विस्तृत जांच करने का मौका मिलेगा।
- अगर अदालत FIR को स्वीकार करती है — तो समन, जमानत, जवाबदेही की प्रक्रिया शुरू होगी। आरोपियों को कोर्ट में पेश होना होगा, और संभवतः संपत्तियों की कुर्की, बैंक खातों की जाँच, दस्तावेजों की समीक्षा आदि होगी।
- इस पूरे मामले में मीडिया, राजनीतिक पंडित, न्याय व्यवस्था, जनता — सबकी निगाहें अदालत के फैसले, एजेंसियों की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर टिकी हो जाएँगी।
राजनीतिक-सामाजिक भूमिका: मतभेद, चुनावी असर और जनमत
इस तरह का बड़ा कानूनी विवाद — जिसमें प्रमुख राजनेता, संपत्तियाँ, मीडिया और धनशोधन से जुड़े आरोप हों — लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था, मीडिया स्वतंत्रता, और राजनीतिक नैतिकता जैसे कई सवाल उठाता है।
- समर्थकों और विपक्ष में इस केस को लेकर गहरा मतभेद है — जहां एक तरफ आरोपियों को “न्याय सुनिश्चित करना” और “धनशोधन रोकना” जरूरी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ इसे “राजनीतिक चाल” कह रहे हैं।
- इस केस का असर 2026 के चुनाव, पार्टी छवि, युवा-मतदाताओं, मीडिया-स्वतंत्रता, और संस्थागत विश्वास पर हो सकता है।
- साथ ही, यह मामला यह संकेत देता है कि संपत्ति-अधिग्रहण, फर्जी कंपनियों, धनशोधन व मीडिया-स्वामित्व जैसे मामलों पर अदालत और जाँच एजेंसियाँ अब अधिक सक्रिय हो रही हैं।
निष्कर्ष — नेशनल हेराल्ड मामला: सिर्फ एक केस नहीं, संस्थागत जवाबदेही का परीक्षण
नेशनल हेराल्ड केस — अब सिर्फ एक मीडिया या राजनीतिक विवाद नहीं रहा। यह बन गया है भारत के न्याय, धन उपयोग, मीडिया-स्वतंत्रता और राजनीतिक जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण।
नई FIR और विस्तारित आरोपों के साथ — मामला और बड़ा, और जटिल हो गया है। यह अदालत, जांच एजेंसियों और लोकतंत्र के लिए चुनौती है कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जाए।
चाहे कोर्ट फैसला दे, चाहे लंबे समय तक जाँच चले — भारत के नागरिक, पत्रकार, पक्षकार और आम जनता — सभी की निगाहें इस केस पर बनी रहेंगी।
अगर प्रक्रिया सही रही, तो यह केस — भविष्य में संपत्ति-अधिग्रहण, मनी-लॉन्ड्रिंग, फर्जी कंपनियों व मीडिया स्वामित्व के मामलों के लिए precedents तैयार कर सकता है।


